क्या आईजीएडी में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए केन्या में जुटे विशेषज्ञ?

सारांश
Key Takeaways
- आईजीएडी में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है।
- युवा जनसंख्या का 60% हिस्सा 30 वर्ष से कम आयु का है।
- नीतिगत सुधारों के जरिए युवाओं को सशक्त बनाया जा सकता है।
- संघर्ष से प्रभावित युवाओं की आवाज को उठाना महत्वपूर्ण है।
- युवाओं को हिंसा रोकने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।
नैरोबी, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। इंटर-गवर्मेंटल अथॉरिटी ऑन डेवलेप्मेंट (आईजीएडी) क्षेत्र में शांति और सुरक्षा पहलों में युवाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए केन्या की राजधानी नैरोबी में एक दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया।
बुधवार को आयोजित आईजीएडी युवा शांति और सुरक्षा सम्मेलन में पूर्वी अफ्रीकी ब्लॉक के कार्यकारी सचिव, वर्कनेह गेबेयेहु ने कहा कि यह क्षेत्र दुनिया की सबसे युवा जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है, जहां 30 वर्ष से कम आयु के युवा कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत से अधिक हैं।
गेबेयेहु ने यह भी कहा, "हालांकि युवा इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, वे जटिल और आपस में जुड़े संकटों का सामना कर रहे हैं जो उनकी क्षमता को कमजोर करते हैं।"
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सुझाव दिया कि आईजीएडी के सदस्य देश नीतिगत सुधारों को लागू कर युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
आईजीएडी शांति एवं सुरक्षा प्रभाग की निदेशक अबेबे मुलुनेह ने क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी रणनीतियों और नीतियों को अपनाने का आह्वान किया जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देती हों।
मुलुनेह ने कहा कि युवा नेताओं को मध्यस्थता और संघर्ष प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जा सकता है ताकि वे हिंसा रोकथाम के लिए प्रेरक बन सकें।
केन्या में आईजीएडी मिशन के प्रमुख फातुमा अदन ने कहा कि औपचारिक शांति प्रक्रियाओं और नागरिक संवाद में युवाओं को शामिल न करना न केवल लोकतांत्रिक प्रगति के लिए खतरा है, बल्कि यह कट्टरता और हिंसा को भी बढ़ावा देता है।
अदन ने आगे कहा कि संघर्ष और विस्थापन से प्रभावित युवाओं (विशेषकर सूडान, दक्षिण सूडान और सोमालिया जैसे देशों में) की आवाज को उठाने से क्षेत्र में शांति निर्माण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।