क्या दादा को नमन करने पैतृक गांव पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड का खून से सींचा गया इतिहास
- शिक्षा पर जोर देना जरूरी है
- मुख्यमंत्री का दादा को नमन
- सामाजिक संघर्ष का महत्व
- विकास की गति तेजी से बढ़ रही है
रांची, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को अपने दादा सोबरन सोरेन के शहादत दिवस पर उन्हें नमन करने के लिए रामगढ़ जिले के अपने पैतृक गांव नेमरा का दौरा किया। लुकैयाटांड़ नामक स्थान पर शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद, हेमंत सोरेन ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, "झारखंड खून से सींचा हुआ प्रदेश है।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंडियों ने सदियों से शोषण और दमन के खिलाफ संघर्ष किया है। हमारे वीर पुरखों ने हमेशा हमें हक-अधिकार के लिए लड़ने का जज़्बा दिया। ऐसी शहादतें हमें न्याय की लड़ाई में अडिग रहने की प्रेरणा देती हैं। इस प्रदेश के हर कोने में हमारे वीर शहीदों की स्मृतियां, प्रतिमाएं और समाधि स्थल हैं। आज हमारे दादा शहीद सोबरन सोरेन का शहादत दिवस है।
उन्होंने कहा, “शोषकों के खिलाफ संघर्ष करते हुए भी शिक्षा का अलख जलाते हुए पूज्यनीय दादा सोबरन मांझी जी ने शोषित और वंचित समाज को शिक्षित करने का अपना महाअभियान जारी रखा। वह एक कुशल शिक्षक थे। उनका मानना था कि शिक्षा से ही समाज में क्रांति आ सकती है।"
झारखंड की स्थापना के 25 वर्षों की यात्रा की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब हम एक युवा राज्य बन चुके हैं। हमारी सरकार प्रत्येक क्षेत्र में तेज गति से कार्य कर रही है। यहां के नौजवानों को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया जा रहा है।
गौरतलब है कि महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ आवाज उठाने वाले सोबरन सोरेन की हत्या 27 नवंबर 1957 को हुई थी। उस समय वह गोला प्रखंड मुख्यालय स्थित स्कूल में अपने दो पुत्रों के लिए चावल और अन्य सामान पहुंचाने के लिए घर से पैदल निकले थे। नेमरा से आगे लुकैयाटांड़ गांव में उनकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद उनके पुत्र शिबू सोरेन ने सूदखोरी और महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था।