क्या 21वीं सदी एशिया, विशेषकर दक्षिण एशिया के लिए विकास और पुनरुद्धार का युग है?

सारांश
Key Takeaways
- दक्षिण एशिया की विकास क्षमता महत्वपूर्ण है।
- चीन और दक्षिण एशिया के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
- विकास सभी देशों के लिए प्राथमिकता है।
- एकजुटता से ही स्थिरता प्राप्त की जा सकती है।
- चीन दक्षिण एशिया का एक विश्वसनीय साझेदार है।
बीजिंग, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 21 अगस्त को, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तानी उप-प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री मुहम्मद इशाक डार ने छठी चीन-पाकिस्तान विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता के बाद इस्लामाबाद में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
दक्षिण एशिया की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करते हुए, वांग यी ने कहा कि दक्षिण एशियाई देश, अपने गौरवशाली इतिहास, अद्भुत सभ्यताओं, विशाल जनसंख्या और अपार विकास क्षमता के साथ, चीन के करीबी पड़ोसी हैं। ये देश पहाड़ों और नदियों से जुड़े हुए हैं और चीन के लिए मानव जाति के साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण की एक महत्वपूर्ण दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की अपनी यात्रा के दौरान, वे दक्षिण एशिया की अपार विकास क्षमता और तेज गति से बेहद प्रभावित हुए। 21वीं सदी एशिया, और विशेषकर दक्षिण एशिया में विकास और पुनरुत्थान का युग होना चाहिए।
वांग यी ने बताया कि अपनी अलग-अलग राष्ट्रीय परिस्थितियों के बावजूद, भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान सभी मानते हैं कि विकास सभी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। एक शांतिपूर्ण, स्थिर, विकसित और समृद्ध दक्षिण एशिया सभी पक्षों के समान हितों और उनकी जनता की आकांक्षाओं को पूरा करता है। तीनों देश अपने सबसे बड़े पड़ोसी चीन के साथ अच्छे पड़ोसी के रूप में मित्रता को मजबूत करने, आदान-प्रदान और सहयोग को गहरा करने और पारस्परिक लाभ और उभय जीत वाले परिणामों को हासिल करने के इच्छुक हैं। एकतरफा धौंस-धमकी के दबाव का सामना करते हुए, तीनों देश बहुपक्षवाद को बनाए रखने, अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करने और एक समान व व्यवस्थित बहुध्रुवीय विश्व और समावेशी आर्थिक वैश्वीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करने में विश्वास रखते हैं। चीन दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक विश्वसनीय साझेदार और ठोस समर्थन होगा।
वांग यी ने ज़ोर देकर कहा कि चीन और दक्षिण एशियाई देश स्वाभाविक साझेदार हैं और उनके बीच सहयोग की व्यापक गुंजाइश है। चीन और पाकिस्तान, चीन और भारत, और अन्य पड़ोसी देशों के साथ चीन के संबंध किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं हैं और न ही किसी तीसरे पक्ष के प्रभाव के अधीन हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)