क्या नेतन्याहू संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजरायल, आईडीएफ और अपना सच रखेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- नेतन्याहू का संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण महत्वपूर्ण होगा।
- उन्होंने अपने विरोधियों को चुनौती देने का संकेत दिया है।
- फिलिस्तीन को मान्यता देने का मुद्दा प्रमुख रहेगा।
- वाशिंगटन में ट्रंप से मुलाकात का महत्व।
- नेतन्याहू की नीतियों पर ध्यान केंद्रित।
तेल अवीव, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने विचार व्यक्त करेंगे। उन्होंने न्यूयॉर्क के लिए रवाना होने से पहले यह संकेत दिया कि वह किन मुद्दों पर अपने विरोधियों को चुनौती देंगे। नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह अपना सच रखेंगे और फिलिस्तीन को मान्यता देने वालों की आलोचना करेंगे।
नेतन्याहू ने गुरुवार सुबह बेन गुरियन हवाई अड्डे पर कहा, "संयुक्त राष्ट्र महासभा में, मैं इजरायल के नागरिकों, हमारे आईडीएफ सैनिकों और हमारे देश के बारे में सच बोलूंगा।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं उन नेताओं की आलोचना करूंगा जो हत्यारों, बलात्कारियों और बच्चों को जलाने वालों की निंदा करने के बजाय, उन्हें इजरायल की धरती पर एक राज्य देने के इच्छुक हैं। ऐसा नहीं होगा।"
यह स्पष्ट है कि फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का मुद्दा नेतन्याहू की अन्य नेताओं के साथ बैठकों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सोमवार को हुई मुलाकात में भी चर्चा का विषय रहेगा।
द टाइम्स ऑफ इजरायल के अनुसार, विमान में सवार होने से पहले, नेतन्याहू ने कहा कि वह और ट्रंप गाजा में युद्ध, जून में ईरान के साथ इजरायल के 12-दिवसीय हवाई युद्ध और अन्य सैन्य संघर्षों के परिणामों पर चर्चा करेंगे। इसमें मध्य पूर्व के अन्य देशों के साथ संबंधों में सुधार की संभावनाएं भी शामिल हैं।
नेतन्याहू ने कहा, "मैं वाशिंगटन में, राष्ट्रपति ट्रंप से चौथी बार मिलूंगा और हमारी जीत से उत्पन्न अवसरों और युद्ध के लक्ष्यों को पूरा करने की आवश्यकता पर चर्चा करूंगा।" उन्होंने इजरायली बंधकों की वापसी, हमास की हार और 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' की ऐतिहासिक जीत के बाद शांति की प्रक्रिया स्थापित करने पर जोर दिया।
नेतन्याहू ने 'फिलिस्तीन को मान्यता' के मुद्दे पर विभिन्न देशों को चुनौती दी है। बुधवार को उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की श्रृंखलाबद्ध घोषणाएँ इजरायल को इसे वास्तविकता में बदलने के लिए बाध्य नहीं करेंगी।