क्या अचानक कार्डियक डेथ के खतरे को पहचानने में मददगार है नई एआई तकनीक?

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क्या अचानक कार्डियक डेथ के खतरे को पहचानने में मददगार है नई एआई तकनीक?

सारांश

न्यूयॉर्क में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक एआई मॉडल विकसित किया है, जो अचानक कार्डियक डेथ के जोखिम वाले मरीजों की पहचान में मौजूदा चिकित्सकीय दिशानिर्देशों से कहीं अधिक प्रभावी है। यह तकनीक हृदय रोगों के खतरे का सटीक अनुमान लगाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

Key Takeaways

  • नया एआई मॉडल अचानक कार्डियक डेथ की पहचान में मददगार है।
  • मौजूदा मेडिकल गाइडलाइंस की तुलना में अधिक सटीकता।
  • 40 से 60 साल के मरीजों के लिए विशेष रूप से प्रभावी।
  • डीप लर्निंग तकनीक का उपयोग करता है।
  • अन्य हृदय रोगों के लिए भी उपयोग की योजना।

न्यूयॉर्क, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नवीनतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल विकसित किया है, जो अचानक कार्डियक डेथ (हृदय गति रुकने से अचानक मौत) के उच्च जोखिम वाले मरीजों की पहचान करने में मौजूदा चिकित्सा दिशानिर्देशों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी है।

इस एआई मॉडल का नाम 'मल्टीमॉडल एआई फॉर वेंट्रिकुलर अरिदमिया रिस्क स्ट्रैटिफिकेशन' है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मॉडल कार्डियक एमआरआई तस्वीरों और मरीजों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को एकत्रित करके छिपे हुए चेतावनी भरे संकेतों का पता लगाता है। यह तकनीक दिल से संबंधित बीमारियों के जोखिम का अनुमान लगाने में अधिक सटीकता प्रदान करती है।

'नेचर कार्डियोवास्कुलर रिसर्च' जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो एक सामान्य आनुवंशिक हृदय रोग है और युवाओं में अचानक कार्डियक डेथ का एक प्रमुख कारण है।

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता नतालिया ट्रायानोवा ने कहा, "कई मरीज जवानी में ही इस रोग के कारण मरते हैं, क्योंकि उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाता। वहीं, कुछ लोग अनावश्यक रूप से डिफाइब्रिलेटर का उपयोग कर रहे हैं। हमारा एआई मॉडल 89 प्रतिशत सटीकता के साथ यह अनुमान लगा सकता है कि किन मरीजों को अचानक मृत्यु का अधिक खतरा है।"

अमेरिका और यूरोप में वर्तमान चिकित्सा दिशानिर्देशों में जोखिम वाले मरीजों की पहचान करने की सटीकता केवल 50 प्रतिशत है। इसकी तुलना में 'मार्स' मॉडल ने 89 प्रतिशत सटीकता दिखाई। विशेष रूप से 40 से 60 वर्ष की आयु के मरीजों के लिए, जो सबसे अधिक जोखिम में हैं, यह सटीकता 93 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह मॉडल कंट्रास्ट-एन्हांस्ड एमआरआई स्कैन का विश्लेषण करता है और हृदय में घावों के पैटर्न को समझता है, जो पहले डॉक्टर्स के लिए पहचानना मुश्किल था। डीप लर्निंग तकनीक का उपयोग करते हुए, यह मॉडल उन महत्वपूर्ण संकेतों को पहचानता है, जो अचानक कार्डियक डेथ का कारण बन सकते हैं।

जॉन्स हॉपकिन्स के कार्डियोलॉजिस्ट और सह-लेखक जोनाथन क्रिस्पिन ने कहा, "यह एआई मॉडल मौजूदा एल्गोरिदम की तुलना में जोखिम की भविष्यवाणी को काफी सुधारता है और चिकित्सा क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।"

शोधकर्ता अब इस मॉडल को अधिक मरीजों पर परीक्षण करने और इसे अन्य हृदय रोगों, जैसे कार्डियक सार्कॉइडोसिस और एरिथमोजेनिक राइट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी के लिए उपयोग में लाने की योजना बना रहे हैं।

Point of View

यह कहना उचित है कि इस नई एआई तकनीक से न केवल हृदय रोगों की पहचान में सुधार होगा, बल्कि यह चिकित्सा अनुसंधान में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यह स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीकी प्रगति का एक शानदार उदाहरण है, जो मरीजों की जान बचाने में सहायक हो सकता है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

यह एआई मॉडल कैसे काम करता है?
यह एआई मॉडल कार्डियक एमआरआई तस्वीरों और मरीजों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को मिलाकर छिपे हुए संकेतों का पता लगाता है।
कितनी सटीकता है इस मॉडल की?
यह मॉडल 89 प्रतिशत सटीकता के साथ अचानक कार्डियक डेथ के खतरे का अनुमान लगा सकता है।