क्या पाकिस्तान और ईरान से 3000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को निकाला गया?
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान और ईरान से 3000 से अधिक अफगान शरणार्थी जबरन वापस भेजे गए।
- तालिबान ने शरणार्थियों की स्थिति को गंभीर बताया है।
- शरणार्थियों को बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।
- पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
काबुल, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान और ईरान से एक ही दिन में ३,००० से अधिक अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा गया है। यह जानकारी मंगलवार को तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साझा की।
तालिबान के उप प्रवक्ता हमदुल्लाह फित्रत ने हाई कमीशन फॉर एड्रेसिंग माइग्रेंट्स इश्यूज की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि सोमवार को कुल ५८० अफगान परिवार यानी ३,१६४ लोग पाकिस्तान और ईरान से लौटकर अफगानिस्तान पहुंचे।
फित्रत के अनुसार, शरणार्थी कंधार के स्पिन बोल्डक, हेलमंद के बह्रामचा, हेरात के इस्लाम कला, निमरोज के पुल-ए-अब्रेशम और नंगरहार के तोर्कम बॉर्डर के माध्यम से अफगानिस्तान लौटे।
उन्होंने कहा कि ९६२ शरणार्थी परिवारों (५,४०४ लोग) को उनके-अपने प्रांतों में भेजा गया, जबकि ५५७ परिवारों को मानवीय सहायता प्रदान की गई। इसके अलावा दूरसंचार कंपनियों ने ६६३ सिम कार्ड वितरित किए।
फित्रत ने यह भी बताया कि रविवार को १,०५३ परिवार यानी ४,८३४ लोग अफगानिस्तान लौट चुके थे।
नवंबर में कई अफगान शरणार्थियों ने बताया कि पाकिस्तान में पुलिस की लगातार सख्ती के कारण उनका जीवन असुरक्षा और डर के माहौल में बीत रहा है। तलाशी अभियान और गिरफ्तारी के अलावा पुलिसकर्मी और अन्य लोग उनकी मजबूरियों का फायदा उठाकर उनसे पैसे वसूल कर रहे हैं।
अफगानिस्तान स्थित एक समाचार पत्र (हश्त-ए-सुभ डेली) की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में बने शिविरों और बस्तियों में रहने वाले अफगान शरणार्थियों को बुनियादी मानवाधिकार तक प्राप्त नहीं हैं और वे लगातार भय और चिंता में जीवन बिताने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, हाल के महीनों में तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के साथ ही इस्लामाबाद ने शरणार्थियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है और राजधानी इस्लामाबाद सहित कई क्षेत्रों में रोजाना प्रवासियों को परेशान किया जा रहा है।
कई शरणार्थियों ने बताया कि कई लोग आवासीय इलाकों में घुसकर पैसे ऐंठते हैं और उन्हें डर होता है कि शिकायत करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। एक अफगान शरणार्थी ने कहा, “स्थिति अत्यंत भयावह है। पुलिस जानती है कि कोई शिकायत नहीं करेगा, इसलिए वे अलग-अलग आते हैं। अब हमें यह भी पता नहीं होता कि सामने वाला व्यक्ति पुलिस है, अपराधी है या पुलिस के साथ मिला हुआ है।”
एक अन्य शरणार्थी जुनैद ने बताया कि कुछ दिन पहले रात में एक व्यक्ति ने खुद को पुलिस बताते हुए उसका वीज़ा मांगा और विरोध करने पर हिंसा की धमकी दी। बाद में दो और लोग आए और उसे गाड़ी में बैठाकर १५,००० रुपये वसूले, तब जाकर उसे छोड़ा गया।
शरणार्थियों ने कहा कि वे अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं और उनकी सुरक्षा और अधिकार का कोई संरक्षण नहीं है।