क्या पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का अपहरण, जबरन विवाह और धर्म परिवर्तन हो रहा है?

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क्या पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का अपहरण, जबरन विवाह और धर्म परिवर्तन हो रहा है?

सारांश

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण और जबरन विवाह एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे धर्म परिवर्तन के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है। जानिए इस पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ।

Key Takeaways

  • पाकिस्तान में हर वर्ष 2,000 लड़कियों का अपहरण होता है।
  • लड़कियों को जबरन इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराया जाता है।
  • अत्यधिक धार्मिक भेदभाव और अपराध की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • कानूनी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।

इस्लामाबाद, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान में हर वर्ष अल्पसंख्यक समुदायों की कम से कम 2,000 नाबालिग लड़कियों का अपहरण किया जाता है, जिसके बाद उन्हें मुस्लिम पुरुषों से जबरन विवाह कराने और इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है। यह जानकारी देश के प्रमुख अल्पसंख्यक अधिकार समूह वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी (वीओपीएम) की एक हालिया रिपोर्ट में उजागर की गई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में लिंग आधारित अपराध विशेष रूप से हिंदू और ईसाई समुदाय की नाबालिग लड़कियों को लक्षित करते हैं, जिस पर संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने 2024 में ऐसे मामलों पर चिंता जताते हुए कहा था कि इन अपराधों और अपराधियों को मिलने वाली छूट अब सहन नहीं की जा सकती।

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव का एक लंबा इतिहास रहा है। ईसाई उत्पीड़न की निगरानी करने वाले संगठन ओपन डोर्स की सूची में पाकिस्तान आठवें स्थान पर है। जबकि ईसाई समुदाय देश की कुल आबादी का महज 1.8 प्रतिशत हैं, उनके खिलाफ कुल ब्लास्फेमी आरोपों का लगभग एक चौथाई हिस्सा दर्ज होता है।

हिंदू समुदाय के संदर्भ में रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गनाइज्ड हेट और माइनॉरिटी राइट्स ग्रुप की उन रिपोर्टों का हवाला दिया गया है, जिनमें पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती घृणा भाषण, भेदभाव और हाशियाकरण के मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार जब लड़कियों का इस्लाम में धर्म परिवर्तन हो जाता है, तब पाकिस्तान के धर्मत्याग (अपोस्टेसी) कानूनों के कारण वे अपने मूल धर्म में वापस नहीं लौट सकतीं, क्योंकि इसे एक दंडनीय अपराध माना जाता है।

रिपोर्ट में 14 वर्षीय ईसाई लड़की मैरा शाहबाज और 15 वर्षीय हिंदू लड़की चंदा महाराज के मामलों का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें अदालतों ने पीड़िताओं को न्याय देने के बजाय अपहरणकर्ताओं का पक्ष लिया। चंदा के मामले में, नाबालिग साबित करने के सभी सबूत खारिज कर अदालत ने उसे एक साल बाद उसके अपहरणकर्ता को सौंप दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, अपहरणकर्ता और उनके सहयोगी अक्सर झूठे जन्म प्रमाणपत्र बनवाकर पीड़िता की उम्र बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, मुस्लिम मौलवी की मदद से निकाह कराते हैं और दबाव डालकर बयान दिलवाते हैं कि धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से हुआ। कई मामलों में अदालतें भी ऐसे अपहरणकर्ताओं को ही लड़की की कस्टडी सौंप देती हैं।

Point of View

हम यह मानते हैं कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना सभी देशों का कर्तव्य है। पाकिस्तान में हो रहे इस तरह के अपराधों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो।
NationPress
28/09/2025

Frequently Asked Questions

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण क्यों होता है?
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण धार्मिक भेदभाव और जबरन विवाह के लिए किया जाता है।
क्या इस्लाम में धर्म परिवर्तन के बाद लड़कियाँ वापस अपने धर्म में लौट सकती हैं?
नहीं, पाकिस्तान के धर्मत्याग कानूनों के तहत, धर्म परिवर्तन के बाद लड़कियाँ अपने मूल धर्म में वापस नहीं लौट सकतीं।
क्या इस मामले में कोई कानूनी मदद उपलब्ध है?
हालांकि कानूनी मदद उपलब्ध है, लेकिन न्यायालयों में अक्सर अपहरणकर्ताओं का पक्ष लिया जाता है।