क्या पाकिस्तानी सेना की दमनकारी कार्रवाई जारी है? बलूचों का अपहरण और आठ लापता!
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तानी सेना की दमनकारी कार्रवाई जारी है।
- कई बलूच नागरिक लापता हैं।
- मानवाधिकार संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की है।
- स्थानीय आबादी भयभीत है।
- सुरक्षा बलों की कार्रवाई में नागरिकों की सुरक्षा की अनदेखी हो रही है।
क्वेटा, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन ने शनिवार को बताया कि बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा की जा रही दमनकारी कार्रवाई अभी भी जारी है। हाल ही में सेना ने छापेमारी की और कई बलूच नागरिकों को उठाकर ले गई। इनमें से 8 लोग अब लापता हैं, जिनके नाम भी सार्वजनिक किए गए हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग, पांक ने बताया कि 10 दिसंबर को खुजदार में पाकिस्तानी सेना द्वारा छापेमारी के दौरान कई नागरिकों (मुख्य रूप से युवाओं) को हिरासत में लिया गया था और तब से वे लापता हैं।
पीड़ितों की पहचान आरिफ हम्बल, जमीर अहमद, जाहिद अहमद, बशीर अहमद, जहूर अहमद, अब्दुल मलिक, शाह नवाज और इरफान हुसैन के रूप में की गई है।
खुजदार के ग्रिशा क्षेत्र में हालिया सैन्य अभियान को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, मानवाधिकार संगठन ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई और बलूचिस्तान में चल रहे मानवाधिकार उल्लंघनों का पूरा दस्तावेज बनाने और जागरूकता बढ़ाने का संकल्प लिया।
बलूचिस्तान में अत्याचारों को उजागर करते हुए, एक अन्य मानवाधिकार संगठन, बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने अवारान जिले में रिहायशी इलाकों में कई गोले दागे, जिसमें बच्चों सहित करीब सात लोग घायल हो गए थे।
गवाहों के अनुसार, गोले अवारान के मुख्य बाजार में गिरे, जहां परिवार मौजूद थे। इन हमलों से स्थानीय लोग भयभीत हैं।
इस घटना की निंदा करते हुए, मानवाधिकार संगठन ने कहा कि यह हमला बलूचिस्तान में निहत्थे नागरिकों के खिलाफ दमनकारी कार्रवाई को दर्शाता है।
बीवीजे ने कहा कि "इन अभियानों के सबसे अधिक पीड़ित बच्चे और महिलाएं हैं। अवारान के विभिन्न समुदायों को लगातार पड़ रही रेड का सामना करना पड़ रहा है और इस दौरान कई लोगों को जबरन गायब कर दिया जा रहा है।" स्थानीय आबादी में भारी हथियारों का इस्तेमाल नागरिकों की सुरक्षा और बुनियादी मानवीय मानकों की स्पष्ट उपेक्षा को दर्शाता है।
मानवाधिकार संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान किया। कहा गया कि गोलाबारी के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है।
बीवीजे ने आगे कहा, "सभी घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता मिलनी चाहिए। रिहायशी इलाकों को हर हाल में सुरक्षित रखा जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय संगठनों को बदहाल स्थिति की निगरानी करनी चाहिए और राज्य पर बलूच आबादी के खिलाफ हिंसक कार्रवाई बंद करने के लिए दबाव डालना चाहिए।"
इन संस्थानों का स्पष्ट कहना है कि यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है, जहां बलूच अलगाववादी संघर्ष और सुरक्षा अभियानों के बीच आम लोग पीस रहे हैं।