क्या पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में आठ नागरिकों को जबरन गायब किया?

Click to start listening
क्या पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में आठ नागरिकों को जबरन गायब किया?

सारांश

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आठ नागरिकों के जबरन गायब होने की घटनाएं एक बार फिर मानवाधिकारों की स्थिति पर सवाल खड़ा करती हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स ने सुरक्षा बलों द्वारा की गई इन गतिविधियों को उजागर किया है। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • बलूचिस्तान में जबरन गायब होने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
  • पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
  • बीवाईसी का रिपोर्ट इस स्थिति को उजागर करता है।
  • स्थानीय नागरिकों के लिए सुरक्षा का संकट बना हुआ है।
  • राजनीतिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है।

क्वेटा, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के बलूचिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने आठ नागरिकों को जबरन गायब कर दिया है। यह जानकारी स्थानीय मीडिया की एक रिपोर्ट से सामने आई है।

हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पंजगुर, मस्तुंग और खरान में कई युवाओं को हिरासत में लिया गया है और उन्हें अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया है। बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने रविवार तड़के लगभग 1:45 बजे खरान के किल्ली हसनाबाद के मसकन कलात में उनके घर पर छापा मारकर चार युवकों को हिरासत में लिया।

हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में से एक की पहचान बीएनपी सदस्य नजीब हसनाबादी के छोटे भाई जहांगीर के रूप में हुई है। गौरतलब है कि 2013 के एक अभियान के दौरान इसी घर के दो भाइयों को हिरासत में लिया गया था।

इनमें, नजीब को सात महीने बाद और बाबू हसन को छह साल बाद रिहा किया गया था।

हिरासत में लिए गए दूसरे व्यक्ति की पहचान 2013 में लापता हुए महमूद शाह के भाई अहमद शाह के तौर पर हुई है। तीसरा लापता व्यक्ति काली टांप का निवासी बौल खान है।

18 अक्टूबर की रात, फ्रंटियर कॉर्प्स (एफसी) के जवानों ने मस्तुंग के काली करक इलाके में लगभग 2 बजे घरों पर छापा मारा और तीन बलूच युवकों को हिरासत में लेकर उन्हें गायब कर दिया।

लापता युवकों की पहचान किल्ली करक निवासी लियाकत और अकील और परंगाबाद निवासी इरफान के रूप में हुई है। परिवारों ने बताया है कि हिरासत में लिए जाने के बाद से दोनों युवकों का कोई पता नहीं चला है। इसी तरह की एक घटना में, हमीद को हिरासत में लेकर किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया था।

शनिवार को, मानवाधिकार संगठन बलूच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा जबरन गायब किए जाने, न्यायेतर हत्याओं और यातनाओं में वृद्धि पर प्रकाश डाला।

बीवाईसी ने कहा कि बलूच नागरिकों के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन तेज हो गया है क्योंकि पाकिस्तान ने बल और कानूनी उपायों का इस्तेमाल करके अपना नियंत्रण कड़ा कर दिया है।

'बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति' शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में, मानवाधिकार संस्था ने जुलाई और अगस्त के बीच पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा किए गए व्यापक उल्लंघनों का विवरण दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "जबरन गुमशुदगी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है और 182 लोग लापता हुए हैं, जिनमें से 80 जुलाई में और 102 अगस्त में हुए। इनमें से 38 को रिहा कर दिया गया है। एक व्यक्ति हिरासत में मारा गया और 142 अभी भी लापता हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है। पीड़ितों में 40 छात्र, 15 नाबालिग और एक महिला शामिल हैं।"

रिपोर्ट्स के निष्कर्षों के अनुसार, क्वेटा, केच और अवारन सहित बलूचिस्तान के कई जिलों में जबरन गुमशुदगी के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर कथित तौर पर मुख्य अपराधी है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "न्यायिक हत्याएं धड़ल्ले से जारी हैं। जुलाई और अगस्त के दौरान 29 लोग मारे गए। इनमें से ज्यादातर मामले टारगेट किलिंग, हिरासत में हत्याओं और हत्या करके फेंक देने के थे। केच, अवारन और खुजदार जिलों में क्रमशः सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए।"

रिपोर्ट में बताया गया है कि दर्ज उल्लंघनों में से 59 प्रतिशत पाकिस्तान समर्थित मौत दस्तों द्वारा और 21 प्रतिशत सशस्त्र बलों द्वारा किए गए, जबकि नाबालिगों को भी निशाना बनाया गया, जिसमें दो बच्चों की नागरिक आबादी पर दागे गए मोर्टार के गोले से मौत हो गई।

बीवाईसी ने कहा, "पीड़ितों के साथ अत्याचार, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार दर्ज किया गया क्योंकि बलूच युवाओं के कई शव क्षत-विक्षत हालत में सड़क किनारे फेंके हुए पाए गए। ये लोग जबरन गायब किए गए थे और उन्हें भारी यातना का सामना करना पड़ा, जो उनके शरीर पर साफ दिखाई दे रहा था। केच और अवारन में सबसे ज्यादा प्रताड़ित और क्षत-विक्षत शव दर्ज किए गए।"

इसमें आगे कहा गया है, "बलूचिस्तान में सामूहिक दंड का प्रचलन है, जहां राज्य के अधिकारी राजनीतिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के परिवारों को निशाना बनाते हैं। गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ प्रतिरोध को कुचलने के लिए बल और कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, नागरिक आबादी पर बमबारी के मामले भी सामने आ रहे हैं।"

Point of View

यह जरूरी है कि हम देश की संप्रभुता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ खड़े हों। हमें अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और किसी भी प्रकार के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

पाकिस्तानी सेना ने कितने नागरिकों को गायब किया?
पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में आठ नागरिकों को जबरन गायब किया है।
इन नागरिकों को क्यों गायब किया गया?
इन नागरिकों को सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिया गया है, जो मानवाधिकारों के उल्लंघन का संकेत है।
इस घटना पर मानवाधिकार संगठनों की क्या प्रतिक्रिया है?
मानवाधिकार संगठन बलूच यकजेहती कमेटी ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि बलूच नागरिकों के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ रहा है।
क्या पाकिस्तानी सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
अभी तक पाकिस्तानी सरकार की ओर से इस घटना पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कौन-कौन से क्षेत्र से नागरिक गायब हुए हैं?
पंजगुर, मस्तुंग और खरान से नागरिक गायब हुए हैं।