क्या हरनौत विधानसभा सीट पर जदयू का दबदबा कायम रहेगा? प्रशांत किशोर और कांग्रेस के लिए है चुनौती

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क्या हरनौत विधानसभा सीट पर जदयू का दबदबा कायम रहेगा? प्रशांत किशोर और कांग्रेस के लिए है चुनौती

सारांश

हरनौत विधानसभा क्षेत्र में जदयू की मजबूत पकड़ है, लेकिन कांग्रेस और प्रशांत किशोर की चुनौती से मुकाबला रोचक होगा। यहाँ के जातीय समीकरण और नीतीश कुमार का प्रभाव चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। क्या जदयू अपनी ताकत बनाए रख पाएगी? इस सवाल का जवाब मिलेगा आगामी चुनाव में।

Key Takeaways

  • हरनौत विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में जदयू का प्रभाव है।
  • जातीय समीकरण चुनाव परिणाम पर असर डालते हैं।
  • प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी चुनौती पेश कर रही है।
  • नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र होने के नाते यहाँ की राजनीति महत्वपूर्ण है।
  • आर्थिक स्तंभों में कृषि और रेलवे फैक्ट्री शामिल हैं।

पटना, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हरनौत विधानसभा क्षेत्र नालंदा जिले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपनी उपजाऊ भूमि, नदियों की उपस्थिति और रेलवे फैक्ट्री के लिए जाना जाता है। इस बार यहाँ की राजनीतिक हलचल काफी दिलचस्प होने की संभावना है। जातीय समीकरण और नीतीश कुमार का दबदबा यहाँ की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

हरनौत पंचाने नदी के किनारे बसा हुआ है, और इसके आसपास धोबा, मुहाने, कररुआ जैसी कई छोटी नदियां बहती हैं, जो इस क्षेत्र की कृषि को लाभ पहुंचाती हैं।

इसके अलावा, रेलवे कैरेज रिपेयर वर्कशॉप इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्थानीय रोजगार और विकास को बढ़ावा देता है। कृषि, रेलवे फैक्ट्री और पर्यटन तीन प्रमुख आर्थिक स्तंभ हैं, जो हरनौत की विकास यात्रा से जुड़े हैं।

हरनौत विधानसभा सीट नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और यह नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र है, क्योंकि उनका पैतृक गांव कल्याण बिगहा इसी विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। नीतीश कुमार ने हरनौत से चार बार चुनाव लड़ा है, लेकिन वे दो बार ही जीत पाए थे। फिर भी, यह सीट नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के लिए एक मजबूत गढ़ मानी जाती है।

1970 के दशक में अस्तित्व में आई इस सीट पर 1977 और 1980 के चुनावों को छोड़कर 8 विधानसभा चुनावों में जदयू की जीत ही रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के हरि नारायण सिंह ने जीत दर्ज की थी, और उन्होंने लोजपा की ममता देवी को हराया था। तीसरे नंबर पर कांग्रेस रही थी। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि हरनौत की राजनीतिक धारा में जदयू का प्रभाव कितना मजबूत है।

जातीय समीकरण की बात करें तो हरनौत विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी, पासवान और यादव समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इसके अलावा, राजपूत, भूमिहार और रविदास समुदाय के मतदाताओं की भी महत्वपूर्ण संख्या है, जो इस सीट के चुनावी परिणामों को प्रभावित करती है।

इस बार हरनौत से जदयू ने अपने पुराने नेता और मौजूदा विधायक हरि नारायण सिंह को उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है। वहीं, प्रशांत किशोर की पार्टी 'जन सुराज' ने पासवान समाज से कमलेश पासवान को उम्मीदवार बनाया है। कमलेश पासवान पूर्व में तीन बार जिला परिषद के सदस्य रह चुके हैं और उनकी स्थानीय राजनीति में अच्छी पकड़ है।

कांग्रेस ने इस सीट से अरुण कुमार बिंद को उम्मीदवार बनाया है, जो पार्टी के लिए इस सीट पर चुनौती पेश करेंगे।

Point of View

NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

हरनौत विधानसभा क्षेत्र में कौन से प्रमुख समुदाय हैं?
हरनौत विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी, पासवान, यादव, राजपूत, भूमिहार और रविदास समुदाय के मतदाता प्रमुख हैं।
जदयू ने इस बार किसे उम्मीदवार बनाया है?
जदयू ने अपने पुराने नेता और मौजूदा विधायक हरि नारायण सिंह को उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है।
प्रशांत किशोर की पार्टी का नाम क्या है?
प्रशांत किशोर की पार्टी का नाम 'जन सुराज' है।
हरनौत विधानसभा सीट पर किसने 2020 का चुनाव जीता था?
2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के हरि नारायण सिंह ने जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस ने इस सीट से किसे उम्मीदवार बनाया है?
कांग्रेस ने इस सीट से अरुण कुमार बिंद को उम्मीदवार बनाया है।