सोने से पहले पैरों में तेल से मालिश करना क्यों आवश्यक है?

सारांश
Key Takeaways
- पदाभ्यंग से तनाव और थकान कम होती है।
- 72,000 नाड़ियां पैरों के तलवों में होती हैं।
- तिल और सरसों का तेल विशेष लाभ देते हैं।
- गहरी नींद के लिए 5-10 मिनट की मालिश करें।
- आधुनिक विज्ञान भी इस प्रक्रिया की पुष्टि करता है।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सोने से पहले पैरों में तिल या सरसों के तेल से मालिश करना एक पुरानी आयुर्वेदिक परंपरा है, जिसे पदाभ्यंग कहा जाता है। आज के व्यस्त जीवन में, जब तनाव, थकान और नींद की कमी एक सामान्य समस्या बन गई है, तो यह सरल उपाय आपके मन और शरीर दोनों को सुकून देने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, पदाभ्यंग करने से वात दोष संतुलित होता है, जिससे शरीर की नाड़ियां शांत होती हैं और गहरी नींद आती है।
प्राचीन ग्रंथ जैसे चरक संहिता और अश्टांग हृदयम में इसे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया है।
दरअसल, हमारे पैरों के तलवों में लगभग 72,000 नाड़ियां होती हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों से जुड़ी होती हैं, जैसे दिल, फेफड़े, पाचन तंत्र और मस्तिष्क। जब इन बिंदुओं पर तेल से मालिश की जाती है, तो इसका असर पूरे शरीर पर महसूस होता है।
मालिश के लिए तिल का तेल सर्वोत्तम माना गया है क्योंकि यह वात को शांत करता है, त्वचा को पोषण देता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। वहीं, सरसों का तेल सर्दी-जुकाम से बचाव करता है, रक्त संचार बढ़ाता है और मांसपेशियों के दर्द में राहत देता है। सर्दियों में, सरसों का तेल अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि यह शरीर में गर्मी पैदा करता है।
पैरों की मालिश करने की विधि बेहद सरल है। सोने से पहले पैरों को अच्छी तरह धोकर सुखा लें, फिर थोड़ा गुनगुना तेल लेकर तलवों, एड़ियों और पिंडलियों पर हल्के हाथों से 5-10 मिनट तक मालिश करें। इसके बाद मोजे पहन लें ताकि तेल चादर पर न लगे। बस इतना करने से ही शरीर का तनाव धीरे-धीरे कम होने लगता है और नींद गहरी आने लगती है।
आधुनिक विज्ञान भी इस प्राचीन विधि की पुष्टि करता है। न्यूरोलॉजी और रिफ्लेक्सोलॉजी के अनुसार, पैरों की मालिश नर्वस सिस्टम को शांत करती है, रक्त संचार को बेहतर बनाती है और डोपामिन व सेरोटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोन को सक्रिय करती है, जो नींद और मूड को सुधारते हैं।