क्या बार-बार गले में दर्द टॉन्सिल्स की समस्या है? जानें उपाय

सारांश
Key Takeaways
- गले में दर्द और सूजन टॉन्सिल्स के संकेत हो सकते हैं।
- ठंडी चीजें खाने से परहेज करें।
- गर्म पानी से गरारे करने से राहत मिलती है।
- तुलसी और अदरक की चाय का सेवन करें।
- स्वस्थ आहार और पाचन का ध्यान रखें।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बच्चों और बड़ों में अक्सर गले में दर्द, सूजन या निगलने में कठिनाई जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यदि यह समस्या बार-बार होती है, तो इसका कारण टॉन्सिल्स यानी तुण्डिकेरी हो सकता है।
गले के दोनों ओर स्थित दो छोटी ग्रंथियाँ जिन्हें टॉन्सिल्स कहा जाता है, यह शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और मुंह या नाक के द्वारा आने वाले कीटाणुओं को रोकने में मदद करती हैं। यदि इनमें संक्रमण हो जाए, तो यह समस्याएँ उत्पन्न कर सकती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, तुण्डिकेरी कफ और पित्त दोष की गड़बड़ी के कारण होती है। जब शरीर में आम यानी विषैले तत्व बढ़ जाते हैं और पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, तो गले की ग्रंथियाँ सूज जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप दर्द, बुखार और निगलने में कठिनाई जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
गले में खराश, तेज दर्द, निगलने में कठिनाई, बुखार, सिरदर्द और सांस से बदबू आना इसके प्रमुख संकेत हैं। बच्चों में चिड़चिड़ापन और खाना न खाने जैसी समस्याएँ भी देखी जा सकती हैं।
ठंडी, तली या भारी चीजें अधिक खाने, ठंडी हवा या बर्फ के संपर्क में आने, दिन में सोने और पाचन की कमजोरी ये सभी टॉन्सिल्स को बढ़ावा देने वाले कारक हैं। दूषित पानी या अस्वच्छ भोजन भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
इस समस्या से बचने के लिए ठंडी चीजों से परहेज करें। दिन में कई बार गर्म पानी से गरारे करें। गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। तुलसी, अदरक, मुलेठी और पिप्पली की चाय सुबह-शाम पीने से गले को राहत मिलती है। भोजन हल्का, गर्म और पचने योग्य होना चाहिए। बच्चों को ठंडा पानी या आइसक्रीम से दूर रखें।
सिंहासन गले की मांसपेशियों को मजबूत करता है, उज्जयी प्राणायाम गले को साफ रखता है, और जल नेति जैसी क्रियाएँ संक्रमण से बचाव में मददगार होती हैं।
गुनगुने पानी में आधा चम्मच हल्दी और एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। इससे सूजन कम होती है।
तुलसी-अदरक की चाय पीएं। 7-8 तुलसी की पत्तियाँ और थोड़ा अदरक उबालकर शहद मिलाएँ। यह गले को राहत देती है और इम्यूनिटी बढ़ाती है।
मुलेठी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर चाटने से खराश और जलन में आराम मिलता है। अजवायन, काली मिर्च और हल्दी को उबालकर पीने से कफ कम होता है और संक्रमण मिटता है।
त्रिफला चूर्ण रात को गर्म पानी के साथ लेने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकलते हैं और पाचन सुधरता है।