क्या आसिम मुनीर ने पहले भाषण में 'सीडीएफ' के रूप में पड़ोसियों को याद किया?
सारांश
Key Takeaways
- आसिम मुनीर ने सीडीएफ के रूप में पहली बार अपने विचार साझा किए।
- पाकिस्तान की सैन्य क्षमता पर जोर दिया गया।
- तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत प्रणाली की आवश्यकता पर चर्चा की गई।
- पड़ोसी देशों के प्रति पाकिस्तान का दृष्टिकोण स्पष्ट किया गया।
इस्लामाबाद, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आसिम मुनीर ने सीडीएफ के रूप में अपने पहले भाषण में 'अटैक इज द बेस्ट डिफेंस' का उदाहरण पेश करते हुए अपने पड़ोसियों भारत और अफगानिस्तान पर फिर से विवादास्पद टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने सैन्य अधिकारियों के समक्ष यह दावा किया कि पाकिस्तान की काबिलियत पर किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही, सीडीएफ के रूप में उनकी नियुक्ति पर स्पष्टीकरण भी दिया।
मुनीर ने सोमवार को नए सीडीएफ मुख्यालय में तीनों सेनाओं को संबोधित करते हुए अपने विचार रखे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अफगानिस्तान से कहा कि अफगान तालिबान सरकार को या तो 'फितना अल-खवारी' या पाकिस्तान में से किसी एक को चुनना होगा, क्योंकि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।
भारत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अगली बार पाकिस्तान का जवाब “और भी तेज और कहीं ज्यादा सख्त” होगा। उन्होंने कहा, “अगली बार पाकिस्तान का जवाब और भी प्रचंड होगा।”
पहले सीडीएफ के रूप में अपनी नियुक्ति के बाद, उन्होंने जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) में कहा कि बढ़ते खतरों के मद्देनजर, तीनों सेनाओं को एकीकृत प्रणाली के अंतर्गत काम करना चाहिए।
सीडीएफ के पद की आवश्यकता पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “चुनौतियों के बढ़ते और बदलते स्वरूप को देखते हुए, एक एकीकृत ट्राई-सर्विसेज ढांचे के तहत मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स को और मजबूत किया जाना चाहिए।” मुनीर ने कहा कि डिफेंस फोर्सेज हेडक्वार्टर बनाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रत्येक सेवा अपनी परिचालन तैयारियों के लिए अपनी पहचान बनाए रखेगी, जबकि नया मुख्यालय अंतर-सर्विस संचालन में तालमेल लाएगा।
उन्होंने इस पद को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब भी दिया। उनका कहना था कि तीनों सेनाओं के आंतरिक कार्यों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया, “तीनों सेनाओं की अपनी आंतरिक स्वायत्तता और संगठनात्मक संरचनाएं बनाए रखी जाएंगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान एक शांति प्रिय देश है, लेकिन वह अपनी ज़मीन की एकता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।