क्या पीओके में राजनीतिक दमन और आर्थिक शोषण के खिलाफ संघर्ष जारी है?

सारांश
Key Takeaways
- पीओके में जारी हिंसक झड़पें राजनीतिक मुद्दों का परिणाम हैं।
- जेएसी ने स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा की मांग की है।
- पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ आरोप लग रहे हैं।
- स्थानीय लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है।
- संघर्ष में भाग लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है।
इस्लामाबाद, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हिंसक झड़पें जारी हैं। क्षेत्र में सुधार और सार्वजनिक सुविधाओं की मांग को लेकर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेएसी) द्वारा आयोजित हड़ताल के दौरान तीन पुलिसकर्मियों समेत नौ लोगों की मौत हो गई। स्थानीय मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी।
पाकिस्तानी दैनिक द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि हड़ताल के कारण पीओके में व्यापार और अन्य गतिविधियां ठप रहीं और क्षेत्र में संचार व्यवस्था बाधित हो गई। धीर कोट और पीओके के अन्य हिस्सों में हिंसा की घटनाएं हुईं। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि झड़पों में 172 पुलिसकर्मी और 50 नागरिक घायल हुए।
जेएएसी के केंद्रीय नेता शौकत नवाज मीर ने हड़ताल का आह्वान किया था। इससे मुजफ्फराबाद, मीरपुर, पुंछ, नीलम, भीम्बर और पलंद्री क्षेत्रों में जनजीवन ठप हो गया है। खैबर-पख्तूनख्वा की सीमा से लगे इलाकों को छोड़कर, मुजफ्फराबाद में बाजार बंद रहे, सड़कें अवरुद्ध रहीं और इंटरनेट सेवाएं प्रतिबंधित रहीं।
अखबार ने रिपोर्टों का हवाला देते हुए बताया कि धीर कोट में जेएएसी से जुड़े हथियारबंद लोगों ने हमला किया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी मारे गए और नौ अन्य घायल हो गए। जेएएसी ने कई मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान किया है, जिनमें सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग को प्राप्त विशेषाधिकारों का अंत, शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करना और कोटा प्रणाली को हटाना शामिल है।
इसके अलावा, समिति ने पूरे क्षेत्र में मुफ्त और समान शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, क्षेत्र के न्यायिक कार्यों में सुधार और एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास की मांग की है।
अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने जेएएसी की कई मांगों को स्वीकार कर लिया है। हालांकि, कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाने के बाद दोनों पक्षों के बीच वार्ता विफल हो गई। वार्ता विफल होने के बाद, जेएएसी ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का आह्वान किया, जो बुधवार को लगातार तीसरे दिन जारी रहा।
प्रदर्शनकारियों द्वारा पीओके को पाकिस्तान से जोड़ने वाले प्रवेश द्वारों को बंद कर दिए जाने के कारण क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां बाधित रहीं। पीओके के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस बलों के बीच तीखी झड़पें हुईं।
इस बीच, पीओके में अवामी एक्शन कमेटी के एक शीर्ष नेता शौकत नवाज मीर ने पाकिस्तान सरकार और सेना पर स्थानीय लोगों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया है। उन्होंने उनकी तुलना लोगों को मारने पर तुली एक चुड़ैल से की।
मीर ने पहलगाम हमले से पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर द्वारा हिंदुओं को "काफिर" कहने की बात को याद किया और आरोप लगाया कि जहां पाकिस्तान दूसरों पर अत्याचार का आरोप लगाता है, वहीं उसके अपने नेता पीओके में अत्याचार कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आम लोगों की आवाज दबाई जा रही है, मीडिया को चुप कराया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा, "उन लोगों को मार रही है जिनका वे प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं।"