क्या राजनाथ सिंह ने चीन में रूस और बेलारूस के रक्षा मंत्रियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की?

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क्या राजनाथ सिंह ने चीन में रूस और बेलारूस के रक्षा मंत्रियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की?

सारांश

राजनाथ सिंह ने चिंगदाओ में रूस और बेलारूस के रक्षा मंत्रियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें कीं, जिसमें सुरक्षा खतरों और रक्षा सहयोग पर व्यापक चर्चा की गई। क्या यह भारत के लिए नई रणनीतियों का संकेत है?

Key Takeaways

  • राजनाथ सिंह की चिंगदाओ यात्रा ने भारतीय रक्षा रिश्तों को और मजबूत करने का संकेत दिया।
  • बैठक में रक्षा सहयोग और सुरक्षा खतरों पर गहन चर्चा हुई।
  • भारत का रूस के साथ दीर्घकालिक सहयोग है, जिसमें कई द्विपक्षीय परियोजनाएँ शामिल हैं।

चिंगदाओ, २६ जून (राष्ट्र प्रेस)। एससीओ के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन के चिंगदाओ शहर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस और बेलारूस के अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग बैठकें की। इन द्विपक्षीय बैठकों में क्षेत्र की चुनौतियों और सुरक्षा खतरों के साथ-साथ रक्षा सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया।

राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "चिंगदाओ में बेलारूस के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन के साथ एक अच्छी बातचीत हुई।"

इससे पहले, राजनाथ सिंह ने रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव से मुलाकात की और रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और व्यापक सहयोग पर चर्चा की।

उन्होंने एक्स पर लिखा, "चिंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव से मिलकर मुझे खुशी हुई। हमने भारत-रूस रक्षा संबंधों को बढ़ाने पर गहन विचार-विमर्श किया।"

भारत का रक्षा के क्षेत्र में रूस के साथ दीर्घकालिक एवं व्यापक सहयोग है, जो दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की अध्यक्षता में आईआरआईजीसी-एम एंड एमटीसी तंत्र द्वारा संचालित होता है।

दीर्घकालिक और कठिन समय में एक-दूसरे के सहयोगी रहे दोनों देश कई द्विपक्षीय परियोजनाओं में शामिल रहे हैं, जिनमें एस-400 की आपूर्ति, टी-90 टैंकों और एसयू-30 एमकेआई का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, मिग-29, कामोव हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति, आईएनएस विक्रमादित्य (पूर्व में एडमिरल गोर्शकोव), भारत में एके-203 राइफलों का उत्पादन और ब्रह्मोस मिसाइलों का विकास शामिल है।

नई दिल्ली और मास्को ने स्वीकार किया है कि सैन्य तकनीकी सहयोग समय के साथ क्रेता-विक्रेता ढांचे से विकसित होकर उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, सह-विकास और संयुक्त उत्पादन में परिवर्तित हो चुका है।

इससे पहले राजनाथ सिंह ने आतंकवाद, कट्टरपंथ और उग्रवाद के खिलाफ एकजुट वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया और इन्हें क्षेत्रीय शांति और विश्वास के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत सरकार के चलाए 'ऑपरेशन सिंदूर' का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए आत्मरक्षा के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया।

राजनाथ सिंह ने एससीओ देशों से दोहरे मापदंड को खारिज करने और आतंकी प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया। उन्होंने संबोधन में आतंकवाद के प्रति भारत की शून्य सहनशीलता की नीति की पुष्टि करते हुए कहा कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं।

एससीओ की बैठक 'ऑपरेशन सिंदूर' के करीब डेढ़ महीने बाद आयोजित हो रही है। रक्षा मंत्री ने इस मंच का प्रयोग एक बार फिर पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए किया।

एससीओ की तरफ से जारी संयुक्त बयान में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं था। वहीं, बलूचिस्तान का जिक्र था और बिना नाम लिए बलूचिस्तान में अशांति फैलाने के लिए भारत की तरफ इशारा किया गया था। राजनाथ सिंह ने इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए, जो भारत के आतंकवाद के खिलाफ सख्त और स्पष्ट दृष्टिकोण को दिखाता है।

मई २०२० में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के कारण भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण होने के बाद भारत के किसी भी केंद्रीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राजनाथ सिंह की यात्रा भारतीय रक्षा रिश्तों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए अपने सहयोगियों के साथ खड़ा रहना है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

राजनाथ सिंह ने किन देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ बैठक की?
राजनाथ सिंह ने रूस और बेलारूस के रक्षा मंत्रियों के साथ बैठक की।
बैठक में किस विषय पर चर्चा की गई?
बैठक में सुरक्षा खतरों और रक्षा सहयोग पर चर्चा की गई।
क्या राजनाथ सिंह की यह यात्रा पहली बार है?
यह यात्रा मई 2020 में भारत-चीन संबंधों में तनाव के बाद भारत के किसी केंद्रीय मंत्री की पहली चीन यात्रा है।