क्या सूडान के एल फशर में लोगों की हत्या और यौन हिंसा की घटनाएं जारी हैं?
                                सारांश
Key Takeaways
- आरएसएफ का नियंत्रण और उसके परिणामस्वरूप हो रही हिंसा
 - महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाएं
 - सहायता की कमी और आवश्यकता
 - बड़े पैमाने पर विस्थापन और मानवाधिकारों का उल्लंघन
 - संयुक्त राष्ट्र की सहायता की सीमाएं
 
संयुक्त राष्ट्र, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सूडान के अल-फ़ाशिर शहर पर रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) का नियंत्रण एक सप्ताह से अधिक समय से है। इस दौरान वहाँ आम नागरिकों की हत्या और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाएं जारी हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय कार्यकर्ताओं ने यह जानकारी साझा की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने बताया कि उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी में महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों के खिलाफ अपराधों की रिपोर्ट मिली है।
ओसीएचए के अनुसार, सैकड़ों नागरिक मारे गए हैं, जिनमें मानवीय कार्यकर्ता भी शामिल हैं। हजारों लोग शहर के अंदर फंसे हैं और बाहरी दुनिया से उनका कोई संपर्क नहीं है। जीवनरक्षक सहायता की डिलीवरी अभी भी आरएसएफ द्वारा रोकी जा रही है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत उनका दायित्व है कि वे ऐसी राहत को तेजी से और बिना रुकावट के आगे बढ़ने दें।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) ने कहा है कि 26 अक्टूबर को शहर के पतन के बाद से लगभग 71,000 लोग एल फशर और आस-पास के इलाकों से पलायन कर चुके हैं, जिनमें से अधिकतर 40 किलोमीटर दूर तवीला शहर के शिविरों में चले गए हैं। कई नए लोगों ने रास्ते में हत्याओं, अपहरण और यौन हिंसा की भी शिकायत की है।
ओसीएचए ने कहा कि तवीला में हालात बेहद दयनीय हैं, परिवार खुले में या अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं, अन्न के भंडार खत्म हो रहे हैं और स्वच्छ पानी की कमी है। संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी आपातकालीन सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिसमें दैनिक भोजन, स्वास्थ्य सेवा, पानी, स्वच्छता, पोषण और मनोवैज्ञानिक सहायता शामिल है, लेकिन धन की कमी के कारण ये प्रयास जरूरतों का केवल एक अंश ही पूरा कर पाते हैं।
कार्यालय ने कहा कि कोर्डोफन क्षेत्र में हिंसा भी तेजी से बढ़ी है, जिससे बड़े पैमाने पर विस्थापन और नागरिक कष्ट झेल रहे हैं। उत्तरी कोर्डोफन के बारा इलाके में नागरिकों की कथित तौर पर हत्या सहित गंभीर उल्लंघनों की खबरें मिली हैं।
आईओएम ने कहा कि 26 से 31 अक्टूबर के बीच, बारा, उम रवाबा और आसपास के गांवों से लगभग 37,000 लोग विस्थापित हुए हैं। नागरिक बढ़ती असुरक्षा, खाद्यान्न की कमी और बुनियादी ढांचे के विनाश का सामना कर रहे हैं।
ओसीएचए ने कहा कि वर्ष में केवल दो महीने शेष हैं, लेकिन सूडान के लिए बनाए गए 2025 के सहायता योजना में पैसे की भारी कमी है। अभी तक केवल 28 प्रतिशत धनराशि ही मिली है, जिसमें आवश्यक 4.16 अरब डॉलर में से 1.17 अरब डॉलर ही प्राप्त हुए हैं। सूडान में चल रहे संघर्ष में फंसे लाखों लोगों की मदद के लिए तुरंत और बिना किसी रोक-टोक के फंड की आवश्यकता है।