क्या सूडान संकट गहराने से समानांतर सरकार का गठन होगा?

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएफ ने समानांतर सरकार की घोषणा की है।
- गृहयुद्ध से सूडान की स्थिति गंभीर है।
- समानांतर सरकार में आरएसएफ और एसपीएलएम-एन के बीच पदों का बंटवारा हुआ है।
- दूसरी सरकार का अस्तित्व विभाजन का खतरा बढ़ा सकता है।
- राजनीतिक समाधान की आवश्यकता है।
खार्तूम, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पैरामिल्ट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) के नेतृत्व में बने राजनीतिक गठबंधन ने सूडान में एक समानांतर सरकार के गठन की घोषणा की है। लगभग दो वर्षों से सूडान में गृहयुद्ध चल रहा है। इस घोषणा के बाद देश में स्थायी विभाजन की चिंताएं और बढ़ गई हैं।
गठबंधन के प्रवक्ता अला अल दीन नुगुद ने टेलीग्राम के माध्यम से प्रसारित एक टेलीविजन बयान में कहा, "सूडान संस्थापक गठबंधन के नेतृत्व निकाय ने मोहम्मद हसन अल-ताइशी को शांति सरकार का प्रधानमंत्री नियुक्त करने पर सहमति जताई है।"
समाचार एजेंसी 'सिन्हुआ' के अनुसार, आरएसएफ कमांडर मोहम्मद हमदान डागालो को नई सरकार में सर्वोच्च संप्रभु प्राधिकारी, राष्ट्रपति परिषद का अध्यक्ष चुना गया है। वहीं, सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-नॉर्थ (एसपीएलएम-एन) के नेता अब्देलअजीज आदम अल-हिलू को राष्ट्रपति परिषद का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
गठबंधन से जुड़े एक सूत्र ने 'सिन्हुआ' को बताया कि समानांतर सरकार में आरएसएफ को 42 प्रतिशत, जबकि एसपीएलएम-एन को 33 प्रतिशत पद मिले। शेष 25 प्रतिशत अन्य समूहों में बांटे गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक अब्दुल-खालिक महजूब के अनुसार, समानांतर सरकार की घोषणा सूडान के राजनीतिक संकट को और जटिल बनाएगी।
महजूब ने कहा, "चिंता इस बात की है कि दो सरकारों के अस्तित्व के कारण सूडान को विभाजन के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। यह वास्तविकता देश की राजनीतिक स्थिति को और खराब करती है। दो सरकारों का होना भौगोलिक विभाजन को गहरा करता है, जो अंततः स्थायी विभाजन का कारण बन सकता है।"
आरएसएफ ने फरवरी में विभिन्न राजनीतिक और सशस्त्र समूहों के साथ एक संस्थापक चार्टर पर हस्ताक्षर किए थे, जिसने समानांतर सरकार की नींव रखी।
वर्तमान में आरएसएफ पश्चिमी सूडान के दारफुर क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों और कोर्डोफन क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण रखता है।
सूडान इस समय सूडानी सशस्त्र बलों और आरएसएफ के बीच संघर्ष की चपेट में है। यह संघर्ष अप्रैल 2023 में शुरू हुआ था, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।