क्या त्रिनिदाद एंड टोबैगो मूल की पॉप स्टार निक्की मिनाज यूएन के मंच पर अपनी बात रखेंगी?
सारांश
Key Takeaways
- निक्की मिनाज का असली नाम ओनिका टान्या माराज है।
- वे 1982 में त्रिनिदाद एंड टोबैगो में जन्मी थीं।
- उनकी पहली एल्बम 'पिंक फ्राइडे' 2010 में आई थी।
- नाइजीरिया में ईसाइयों पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाने का निर्णय लिया है।
- उनका फैन ग्रुप 'बार्बज' है।
वाशिंगटन/नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। निक्की मिनाज को दुनिया में हिप-हॉप की सबसे प्रभावशाली महिला कलाकारों में से एक माना जाता है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने उन्हें राजनीति और वैश्विक मानवाधिकार चर्चा के केंद्र में ला खड़ा किया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकारों ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र में नाइजीरिया के ईसाइयों पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाने के लिए आमंत्रित किया, जिससे यह सवाल उठने लगा कि आख़िर निक्की मिनाज कौन हैं, उनकी कहानी क्या है, और ट्रंप प्रशासन ने उन्हें इतनी राजनीतिक अहमियत क्यों दी! मंगलवार को निक्की अपनी बात रखेंगी।
उनका असली नाम ओनिका टान्या माराज है। वे 1982 में त्रिनिदाद एंड टोबैगो में जन्मी थीं। उनका परिवार बचपन में ही न्यूयॉर्क चला आया, जहां उन्होंने गरीबी, संघर्ष और हिंसक घरेलू माहौल का सामना किया। उनके पिता ड्रग और शराब की समस्या से जूझते थे, और निक्की ने कई बार बताया है कि उनके शुरुआती साल असुरक्षित और डरभरे रहे। यही कारण है कि उनके अंदर एक तेज, मुखर और कभी-कभी आक्रामक व्यक्तित्व विकसित हुआ, जो बाद में उनके संगीत का आधार बना।
संगीत में उन्होंने 2000 के दशक में रैप मिक्सटेप्स के माध्यम से पहचान बनाई और 2010 में उनका पहला एल्बम “पिंक फ्राइडे” आया, जिसने उन्हें स्टार बना दिया। लेकिन उनकी खासियत सिर्फ संगीत नहीं है। उनका वैश्विक प्रभाव, सोशल मीडिया पर उनकी विशाल उपस्थिति और गहरे रूप से जुड़े “बार्बज” नामक फैन-ग्रुप हैं, जिनकी संख्या करोड़ों में है। निक्की आज पॉप कल्चर में मेगाफोन इफेक्ट रखने वाली आवाज हैं। जब वह कुछ बोलती हैं, तो दुनिया सुनती है।
इसी प्रभाव के कारण डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम ने उन्हें महत्व दिया है। राजनीति में ट्रंप ने हमेशा उन हस्तियों को तरजीह दी है जिनका जनसमर्थन डिजिटल दुनिया में मजबूत होता है और जिनसे उनका संदेश आम लोगों तक बिना किसी फिल्टर के पहुंच सके।
निक्की मिनाज हाल के वर्षों में कई बार ऐसे बयानों में शामिल रही हैं जो ट्रंप समर्थक वर्ग में लोकप्रिय रहे हैं, चाहे वह कोविड वैक्सीन विवाद हो, “फ्री-स्पीच” पर उनके बयान हों या मीडिया और सत्ता की आलोचना। इस पृष्ठभूमि ने ट्रंप प्रशासन को उन्हें तरजीह देने पर मजबूर किया: एक ऐसी सेलिब्रिटी जो सत्ता विरोधी भावनाओं को आवाज देती है और जनता में उनकी विश्वसनीयता बहुत ऊंची है।
नाइजीरियाई ईसाइयों के मुद्दे पर यूएन में उनकी स्पीच भी इसी फॉर्मूले का हिस्सा मानी जा रही है। टाइम पत्रिका के अनुसार, अमेरिकी राजदूत माइक वॉल्ट्ज और ट्रंप के सलाहकार एलेक्स ब्रुसेविट्ज ने उन्हें आमंत्रित करवाया ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर धार्मिक उत्पीड़न के मुद्दे को एक बहुत बड़े पॉप चेहरे की आवाज मिल सके।
ट्रंप ने हाल ही में नाइजीरिया में ईसाइयों पर हुई हिंसा को “बहुत गंभीर संकट” बताया था। निक्की की मौजूदगी इस संदेश को कई गुना बढ़ा देती है, क्योंकि वह सिर्फ कलाकार नहीं, बल्कि एक ग्लोबल ब्रांड हैं।
निक्की खुद कहती हैं कि ईश्वर ने उन्हें “आवाज इसलिए दी है कि वह न्याय के लिए इस्तेमाल हो।” उनकी यात्रा—गरीबी से लेकर वैश्विक स्टार बनने तक ने उन्हें संवेदनशील और मुखर बनाया है। यही बात उन्हें राजनीतिक संदेशों को एम्पलीफाई करने के लिए आदर्श चेहरा बनाती है।