क्या यूएस फेडरल जज ने ट्रंप की लॉस एंजेलिस में सेना तैनाती को अवैध करार दिया?

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क्या यूएस फेडरल जज ने ट्रंप की लॉस एंजेलिस में सेना तैनाती को अवैध करार दिया?

सारांश

हाल ही में, एक अमेरिकी फेडरल जज ने ट्रंप प्रशासन द्वारा लॉस एंजेलिस में सेना तैनात करने के निर्णय को अवैध करार दिया, जो कि 19वीं सदी के कानून का उल्लंघन करता है। यह निर्णय न केवल स्थानीय प्रदर्शनकारियों के लिए राहत है, बल्कि यह राष्ट्रपति के अधिकारों पर भी सवाल उठाता है।

Key Takeaways

  • ट्रंप प्रशासन द्वारा सेना की तैनाती अवैध मानी गई।
  • लोकतंत्र और संविधान की रक्षा महत्वपूर्ण है।
  • कैलिफोर्निया में नेशनल गार्ड की तैनाती पर रोक।
  • अदालत के फैसले ने राष्ट्रपति के अधिकारों पर सवाल उठाया।
  • अन्य न्यायाधीशों के लिए यह एक मार्गदर्शक हो सकता है।

लॉस एंजिल्स, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक अमेरिकी फेडरल जज ने यह निर्णय सुनाया है कि ट्रंप प्रशासन ने जून की शुरुआत में लॉस एंजिल्स में इमिग्रेशन रेड्स के खिलाफ प्रदर्शन को रोकने के लिए नेशनल गार्ड और मरीन की तैनाती कर 19वीं सदी के कानून का उल्लंघन किया।

समाचार एजेंसी 'सिन्हुआ' के अनुसार, कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले की अमेरिकी जिला अदालत के वरिष्ठ न्यायाधीश चार्ल्स ने अपने आदेश में कहा कि ट्रंप प्रशासन ने 'पॉजे कॉमिटेटस एक्ट' का उल्लंघन किया है, जो कि बिना कांग्रेस की मंजूरी के घरेलू कानून लागू करने के लिए अमेरिकी सेना के इस्तेमाल पर रोक लगाता है।

यह फैसला ट्रंप प्रशासन को कैलिफोर्निया में तैनात नेशनल गार्ड और किसी भी सैन्य टुकड़ी को कानून लागू करने के लिए तैनात करने, आदेश देने, निर्देश देने, प्रशिक्षण देने या इस्तेमाल करने से रोकता है।

निर्णय में कहा गया है, "लॉस एंजिल्स में वास्तव में प्रदर्शन हुए थे। कुछ व्यक्तियों ने हिंसा भी की थी, लेकिन न तो कोई विद्रोह हुआ और न ही नागरिक कानून प्रवर्तन एजेंसियां इन प्रदर्शनों से निपटने और कानून लागू करने में असमर्थ थीं।"

इसमें यह भी कहा गया है कि लॉस एंजिल्स में नेशनल गार्ड की तैनाती के लगभग तीन महीने बाद भी, 300 नेशनल गार्ड सदस्य वहां तैनात हैं। इसके साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने अन्य शहरों में भी इन सैनिकों को फेडरल सर्विस में बुलाने का इरादा जताया है, जिससे राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय पुलिस फोर्स का गठन होगा।

कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम इस मामले के वादियों में से एक हैं। उन्होंने कहा, "अदालत ने लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया है। कोई भी राष्ट्रपति राजा नहीं होता, यहाँ तक कि ट्रंप भी नहीं। कोई भी राष्ट्रपति किसी राज्य की अपने लोगों की रक्षा करने की शक्ति को कुचल नहीं सकता।"

बयान में आगे कहा गया, "ट्रंप का फेडरल ट्रूप्स को अपनी निजी पुलिस फोर्स की तरह इस्तेमाल करने का प्रयास अवैध और तानाशाहीपूर्ण है। इसे इस देश की हर अदालत में रोका जाना चाहिए।"

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, व्हाइट हाउस की डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी अन्ना केली ने कहा, "फिर से, एक न्यायाधीश अमेरिकी शहरों को हिंसा और विनाश से बचाने के लिए कमांडर-इन-चीफ के अधिकार का हनन करने की कोशिश कर रहे हैं।"

अमेरिकी न्याय विभाग ने इस फैसले के खिलाफ फेडरल अपील कोर्ट में याचिका दायर की है। इसके साथ ही अपील पर विचार किए जाने तक इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है।

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मिलिट्री जस्टिस के उपाध्यक्ष ब्रेनर फिसेल के हवाले से 'सीएनएन' ने बताया कि फैसला कैलिफोर्निया के बाहर तत्काल प्रभाव तो नहीं डालता, लेकिन यह तय है कि अगर कहीं और इसी तरह के मामले सामने आते हैं, तो दूसरे न्यायाधीश सबसे पहले इसी फैसले का हवाला देंगे।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि कानून की सर्वोच्चता और संविधान का पालन करना हर नागरिक का अधिकार है। यह निर्णय न केवल ट्रंप प्रशासन के अधिकारों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है कि कोई भी राष्ट्रपति अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर सकता।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

ट्रंप प्रशासन ने क्यों सेना तैनात की थी?
ट्रंप प्रशासन ने लॉस एंजेलिस में इमिग्रेशन रेड्स के खिलाफ प्रदर्शन को रोकने के लिए सेना तैनात की थी।
क्या यह तैनाती कानूनी थी?
एक अमेरिकी फेडरल जज ने इसे अवैध करार दिया है, यह कहते हुए कि यह 19वीं सदी के कानून का उल्लंघन है।
इस फैसले का क्या प्रभाव होगा?
यह निर्णय अन्य न्यायाधीशों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम कर सकता है और राष्ट्रपति के अधिकारों पर सवाल उठाता है।
कैलिफोर्निया के गवर्नर ने क्या कहा?
गवर्नर गेविन न्यूसम ने कहा कि अदालत ने लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया है।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया क्या थी?
व्हाइट हाउस की डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी ने इसे कमांडर-इन-चीफ के अधिकार का हनन बताया।