क्या अदम गोंडवी हैं जनता की आवाज का शायर: 'चमारों की गली' का विद्रोह?

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क्या अदम गोंडवी हैं जनता की आवाज का शायर: 'चमारों की गली' का विद्रोह?

सारांश

अदम गोंडवी, जिनका असली नाम रामनाथ सिंह है, हिंदी साहित्य के अति महत्वपूर्ण कवियों में से एक हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में सामाजिक अन्याय और जातिवाद को बेबाकी से उजागर किया। उनकी प्रसिद्ध रचना 'मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको' ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई। आइए जानते हैं उनके जीवन और साहित्य की गहराइयों में।

Key Takeaways

  • सामाजिक अन्याय के खिलाफ अदम गोंडवी की आवाज प्रभावशाली थी।
  • उनकी कविताएं शोषितों की आवाज बनीं।
  • अदम ने साहित्य के माध्यम से क्रांति की चिंगारी जगाई।
  • उनका कार्य आज भी सामाजिक न्याय की लड़ाई को प्रेरित करता है।
  • उनकी रचनाएं राजनीति और समाज में गहरी छाप छोड़ गईं।

मुंबई, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अदम गोंडवी, जिनका असली नाम रामनाथ सिंह था, हिंदी साहित्य के उन महान कवियों में से हैं जिन्होंने अपनी तेज और साहसी कविताओं के माध्यम से सामाजिक अन्याय, गरीबी, जातिवाद और राजनीतिक भ्रष्टाचार को चुनौती दी। उनका जन्म 22 अक्टूबर 1947 को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के अट्टा परसपुर गांव में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था।

बचपन से ही ग्रामीण जीवन की कठोर वास्तविकताओं का सामना करने वाले अदम ने अपनी कविताओं में आम आदमी की पीड़ा को इतनी गहनता से व्यक्त किया कि उन्हें 'दूसरा दुष्यंत कुमार' कहा जाने लगा।

उनकी प्रमुख रचनाओं में कविता संग्रह ‘धरती की सतह पर’ और ‘समय से मुठभेड़’ शामिल हैं, जो दलितों, हाशिए पर जीने वाले लोगों और शोषित वर्गों की आवाज बन गईं।

अदम की गजलें न केवल आलोचना का एक साधन हैं, बल्कि क्रांति की चिंगारी भी हैं—जैसे उनकी प्रसिद्ध पंक्तियां: "फटे कपड़ों में तन ढ़ाके गुजरता है जहां कोई / समझ लेना वो पगडंडी 'अदम' के गांव जाती है।"

अदम गोंडवी को “जनकवि” और “विद्रोह का शायर” कहा गया। उनके जीवन और काव्य पर केंद्रित कृतियां, जैसे कि 'अदम गोंडवी: जीवन और काव्य', इस बात की पुष्टि करती हैं कि उनकी कलम का मकसद महज वाहवाही लूटना नहीं, बल्कि व्यवस्था को आईना दिखाना था।

उनका साहित्यिक करियर एक ऐसे अद्वितीय मोड़ पर खड़ा हुआ, जहां उन्होंने व्यक्तिगत सुरक्षा और सामाजिक सम्मान को दांव पर लगाकर शोषितों की आवाज बनने का निर्णय लिया। गोंडा, उत्तर प्रदेश के ठाकुर परिवार से आने वाले रामनाथ सिंह ने अपनी औपचारिक शिक्षा भले ही प्राइमरी तक पूरी की, लेकिन जीवन के अनुभवों ने उन्हें समाजशास्त्र का एक महान विद्वान बना दिया।

उनकी कविताएं और गजलें तब तक मुशायरों में लोकप्रिय हो चुकी थीं, लेकिन उनके करियर का असली बदलाव उनकी पहली लंबी कविता 'मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको' से आया। यह कविता उन्हें एक क्षेत्रीय कवि से राष्ट्रीय स्तर का कवि बना दिया।

यह रचना महज गरीबी या भूख का वर्णन नहीं थी; यह उत्तर प्रदेश के ग्रामीण परिवेश में दलितों, खासकर एक दलित किशोरी के साथ हुए जघन्य बलात्कार और उसके बाद सामंती ठाकुरों द्वारा (अपनी ही बिरादरी) पुलिस के सहयोग से दलित बस्ती पर किए गए अत्याचारों की भयावह दास्तान थी। उस समय किसी सवर्ण कवि का इतना तीखा और बेबाक ढंग से अपनी ही जाति के शोषण और क्रूरता को सार्वजनिक करना, और शोषितों के पक्ष में खड़े होना, एक अभूतपूर्व साहित्यिक विद्रोह था।

अदम गोंडवी को इस कविता के लिए न केवल साहित्यिक प्रशंसा मिली, बल्कि उन्हें अपने गांव और बिरादरी के भीतर भयंकर सामाजिक विरोध और बहिष्कार का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस तक एक किसान की तरह जीवन जिया और सत्ता के किसी भी प्रलोभन को अस्वीकार कर दिया।

अदम ने अपनी कलम से साबित कर दिया कि एक कवि का सबसे बड़ा धर्म सत्य बोलना और शोषित के पक्ष में खड़ा होना होता है। उनकी यह रचना उनके करियर का सिद्धांत बन गई, जिसने हिंदी गजल को महफिलों से निकालकर सीधे आम जनता की पीड़ा और प्रतिरोध के मैदान में उतार दिया।

यह कविता आज भी भारतीय राजनीति और सामाजिक न्याय पर एक तीखी टिप्पणी है, जिसमें वे कहते हैं, "तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है। ... आइए महसूस करिए जिंदगी के ताप को, मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको।"

18 दिसंबर 2011 को लखनऊ के अस्पताल में लीवर सिरोसिस से उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी रचनाएं आज भी सामाजिक न्याय की लड़ाई को प्रेरित करती रहती हैं।

Point of View

NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

अदम गोंडवी कौन थे?
अदम गोंडवी, जिनका असली नाम रामनाथ सिंह था, हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि थे जिन्होंने सामाजिक अन्याय और जातिवाद पर अपने काव्य के माध्यम से प्रकाश डाला।
उनकी प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं?
उनकी प्रमुख रचनाओं में 'धरती की सतह पर', 'समय से मुठभेड़' और 'मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको' शामिल हैं।
अदम गोंडवी का साहित्य में योगदान क्या था?
उनका साहित्यिक योगदान सामाजिक मुद्दों को उजागर करना और शोषित वर्गों की आवाज बनना था।
उनकी कविता 'मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको' का महत्व क्या है?
यह कविता दलितों के खिलाफ अत्याचार और सामाजिक असमानता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण विद्रोह है।
अदम गोंडवी का निधन कब हुआ?
उनका निधन 18 दिसंबर 2011 को लखनऊ के अस्पताल में हुआ।