क्या अमेरिका में दवाएं सस्ती होंगी? ट्रंप ने की घोषणा
सारांश
Key Takeaways
- डोनाल्ड ट्रंप ने दवाओं की कीमतों में कमी की घोषणा की है।
- अब अमेरिकी मरीजों को दुनिया की सबसे कम कीमत पर दवाएं मिलेंगी।
- दवा कंपनियों को नियमों का पालन न करने पर आयात शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
- इस योजना का असर बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर होगा।
वाशिंगटन, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवाओं की कीमतों को कम करने की अब तक की सबसे महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अब अमेरिकी मरीजों को दवाओं के लिए दुनिया में कहीं भी ली जाने वाली सबसे कम कीमत से अधिक पैसे नहीं चुकाने होंगे।
व्हाइट हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में अब “सबसे पसंदीदा देश मूल्य प्रणाली” लागू की जाएगी। इसका अर्थ है कि अमेरिका में दवाएं उसी सबसे कम कीमत पर मिलेंगी, जिस कीमत पर वे दुनिया के किसी भी देश में बेची जाती हैं। उन्होंने बताया कि अब तक अमेरिकी लोगों को दूसरे देशों की तुलना में बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ती थी।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर, वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक, मेडिकेयर और मेडिकेड सर्विसेज़ एडमिनिस्ट्रेटर मेहमत ओज़ और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कमिश्नर मार्टी मकारी भी उपस्थित थे।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका की कुल जनसंख्या दुनिया की केवल चार प्रतिशत है, लेकिन दवा कंपनियां अपने मुनाफे का लगभग पचहत्तर प्रतिशत अमेरिका से ही कमाती हैं। उन्होंने बताया कि कई बड़ी दवा कंपनियां अपनी प्रमुख दवाओं की कीमतें कम करने पर सहमत हो गई हैं। कुछ दवाओं के दाम तीन सौ से लेकर सात सौ प्रतिशत तक घटाने के समझौते हुए हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कंपनियों ने नियमों का पालन नहीं किया तो उन पर आयात शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप के अनुसार अगले वर्ष से दवाओं की कीमतें तेजी से गिरनी शुरू होंगी।
उन्होंने यह भी कहा कि दवाओं की कीमत कम होने से होने वाली बचत का लाभ सीधे मरीजों को मिलना चाहिए, न कि बीमा कंपनियों को।
अमेरिका में दवाओं की ऊंची कीमतें लंबे समय से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रही हैं, विशेष रूप से बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए। ट्रंप का कहना है कि अब अमेरिका को भी वही लाभ मिलेगा, जो अब तक दूसरे देशों को मिलता रहा है।