क्या बांग्लादेश में हिंसा को लेकर यूएन ने चिंता जताई है?
सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में हिंसा पर चिंता व्यक्त की है।
- अल्पसंख्यकों को सुरक्षित महसूस कराने की आवश्यकता है।
- हाल की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई हैं।
- सरकार को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
- बांग्लादेश में हिंसा के पीछे राजनीतिक अस्थिरता है।
संयुक्त राष्ट्र, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश में चल रही हिंसा के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके प्रवक्ता स्टेफन दुजारिक ने कहा कि बांग्लादेश में रहने वाले सभी लोगों, विशेषकर अल्पसंख्यकों, को सुरक्षित महसूस करने की आवश्यकता है।
प्रवक्ता ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और हाल ही में हिंदुओं की लिंचिंग के सवाल पर कहा, "सभी बांग्लादेशियों को सुरक्षित महसूस करने की आवश्यकता है। हम बांग्लादेश में देखी गई हिंसा को लेकर अत्यंत चिंतित हैं।"
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चाहे बांग्लादेश हो या कोई अन्य देश, जो लोग बहुसंख्यक समाज का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें भी सम्पूर्ण सुरक्षा मिलनी चाहिए। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार पर विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेगी।
इंकलाब मंच से जुड़े युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है। बताया गया है कि इस महीने की शुरुआत में हुए एक हमले के बाद उनकी मौत हो गई थी।
पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद हिंसा की घटनाएं शुरू हुई थीं, जो हाल के दो हफ्तों में फिर से गंभीर रूप ले चुकी हैं। हाल के दिनों में कई ऐसे हिंदुओं को भी भीड़ ने निशाना बनाया, जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। केवल उनके धर्म के कारण उन्हें टारगेट किया गया।
हिंसा की नई घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने शांति बनाए रखने और हिंसा रोकने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि बदला और प्रतिशोध समाज में और गहरी दरारें पैदा करेगा और सभी के अधिकारों को नुकसान पहुंचाएगा।
फरवरी में होने वाले चुनावों को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल होना चाहिए जिसमें हर व्यक्ति बिना डर के और शांति से सार्वजनिक जीवन में भाग ले सके।
इस बीच अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के दो सदस्यों ने हिंदुओं और मीडिया के खिलाफ हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की थी। राजा कृष्णमूर्ति ने बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा हत्या पर गहरा दुख जताते हुए इसे अस्थिरता और अशांति के दौर की खतरनाक घटना बताया।
वहीं सुहास सुब्रमण्यम ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार में हालिया बदलाव के बाद हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की खबरें बढ़ी हैं, जिनमें घरों और मंदिरों को निशाना बनाना भी शामिल है।