क्या संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ पर अमेरिकी प्रतिबंध अस्वीकार्य हैं?

सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों पर प्रतिबंध खतरनाक हैं।
- विशेष प्रतिवेदकों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- एकतरफा प्रतिबंधों का प्रयोग अस्वीकार्य है।
- अमेरिकी प्रतिबंध फ्रांसेस्का अल्बानीज पर लगाए गए हैं।
- महासचिव का प्रतिवेदकों पर कोई अधिकार नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने अमेरिकी प्रतिबंध को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ के खिलाफ अस्वीकार्य करार दिया।
दुजारिक ने कहा कि मानवाधिकार विशेषज्ञों पर प्रतिबंध लगाना एक खतरनाक कदम है। यह बयान फ्रांसेस्का अल्बानीज पर अमेरिकी प्रतिबंधों के संदर्भ में आया है, जो फिलिस्तीन में यूएन की विशेष रिपोर्टर के रूप में कार्यरत हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि सदस्य देशों को अपने विचार व्यक्त करने और विशेष प्रतिवेदकों की रिपोर्टों से असहमत होने का पूरा अधिकार है, लेकिन हम उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संरचना से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। किसी भी विशेष प्रतिवेदक या अन्य संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के खिलाफ एकतरफा प्रतिबंधों का प्रयोग अस्वीकार्य है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, दुजारिक ने यह भी कहा कि अल्बानीज, अन्य सभी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की तरह, एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ हैं। उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किया गया है और वे जेनेवा स्थित परिषद को रिपोर्ट करते हैं।
दुजारिक ने कहा कि विशेष प्रतिवेदक संयुक्त राष्ट्र महासचिव को रिपोर्ट नहीं करते हैं, जिनका उन पर या उनके कार्य पर कोई अधिकार नहीं होता है।
वाशिंगटन ने बुधवार को फिलिस्तीनियों के खिलाफ कथित इजरायली मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच में अल्बानीज की भूमिका के लिए प्रतिबंधों की घोषणा की। यह कदम गाजा में चल रहे इजरायली सैन्य अभियानों के बीच उनके द्वारा किए गए कथित युद्ध अपराधों की अंतरराष्ट्रीय जांच को रोकने के प्रयास का प्रतीक है।
ये प्रतिबंध अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फरवरी में हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश के बाद लगाए गए हैं, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के खिलाफ दंडात्मक उपायों को अधिकृत किया गया था, जिसे प्रशासन ने संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल को निशाना बनाकर की गई 'अवैध और निराधार कार्रवाई' बताया था।