क्या आपको प्रेम, विलासिता और रिश्तों के ग्रह शुक्र के दोषों से मुक्ति चाहिए?

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क्या आपको प्रेम, विलासिता और रिश्तों के ग्रह शुक्र के दोषों से मुक्ति चाहिए?

सारांश

शुक्र ग्रह प्रेम, विलासिता और रिश्तों का प्रतीक है। जानिए कैसे विभिन्न मंदिरों में पूजा करने से आप शुक्र के दोषों से मुक्त हो सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।

Key Takeaways

  • शुक्र ग्रह का संबंध प्रेम, धन और विलासिता से है।
  • शुक्र की पूजा से सुख, समृद्धि और खुशियों की प्राप्ति होती है।
  • शुक्रेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने से दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • असम का शुक्रेश्वर मंदिर भी महत्वपूर्ण है।
  • कंजानूर शुक्रन मंदिर में भक्त सच्चे मन से पूजा करते हैं।

नई दिल्ली, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, प्रेम, विलासिता और रिश्तों का ग्रह शुक्र माना जाता है। शुक्र भौतिक सुख-सुविधाओं, विलासिता, प्रेम, अंतरंगता, आभूषण, जुनून, धन, दिखावट, कामुक संतुष्टि और जीवंतता का प्रतीक है।

इस प्रकार की मान्यता है कि 'पुरुष मंगल से हैं और महिलाएं शुक्र से हैं।' शुक्र देव का रंग श्वेत है और इनमें स्त्रीत्व का गुण अधिक पाया जाता है, इसलिए ज्योतिष में शुक्र को स्त्री ग्रह के रूप में माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शुक्र या शुक्र ग्रह को राक्षसों का गुरु कहा जाता है और उन्हें असुर गुरु के रूप में भी जाना जाता है। फिर भी, उन्हें धन और खुशी का एक शुभ ग्रह माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्र देव असुरों के गुरु थे और उन्हें मृत संजीवनी मंत्र का ज्ञाता माना जाता है। शुक्र देव को सौंदर्य और आकर्षण का देवता भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

यदि आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर है, तो यह आपके जीवन में संघर्ष उत्पन्न कर सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार, शुक्र देव वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं और मीन राशि में उच्च के होते हैं। इसलिए मीन राशि के जातकों पर शुक्र देव की विशेष कृपा होती है। उनकी कृपा से जातक को जीवन में किसी भी चीज़ की कमी नहीं होती है। कुंडली में शुक्र की महादशा 20 वर्षों तक चलती है, जबकि उसकी अंतर्दशा तीन साल तीन महीने की होती है। शुक्र देव एक राशि में 25 दिनों तक रहते हैं।

खगोल विज्ञान के अनुसार, आसमान में चंद्रमा के बाद सबसे चमकीली वस्तु केवल शुक्र है। जिस जातक के जीवन में शुक्र मेहरबान होते हैं, उसका जीवन चमक उठता है।

इस संदर्भ में स्कंद पुराण, शिव पुराण और काशी खंड में एक ऐसे शिवलिंग का वर्णन है जिसकी पूजा करने से शुक्र के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है, और जातक का जीवन सुख, समृद्धि और खुशियों से भर जाता है। जातक को संतान का सुख भी प्राप्त होता है। यह शुक्रेश्वर महादेव मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास माता अन्नपूर्णा के मंदिर के पीछे कालिका गली में स्थित है। यहाँ के पास ही शुक्र द्वारा खोदा गया कुआं आज भी है, जिसे शुक्र कूप कहा जाता है। इस कूप के जल का सेवन या स्नान करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।

इसके अतिरिक्त, एक और शुक्रेश्वर मंदिर असम राज्य में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर गुवाहाटी शहर के पानबाजार इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर शुक्रेश्वर पहाड़ी पर स्थित है। इसे भगवान शिव के सबसे बड़े लिंगम और छठे ज्योतिर्लिंग लिंगम के नाम से भी जाना जाता है। इसका इतिहास संत शुक्र से जुड़ा है, जिन्होंने इस पहाड़ी पर भगवान शिव की पूजा की।

दैत्य गुरु शुक्राचार्य का कचेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के कोपरगांव में स्थित है। यहाँ मान्यता है कि ऋषि भृगु के पुत्र और असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने यहाँ साधना की थी। इस कारण इसे शुक्राचार्य की कर्मभूमि भी कहा जाता है। भक्त यहाँ शिवलिंग पर जलाभिषेक कर के भोलेनाथ और शुक्राचार्य की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार, शुक्राचार्य ने मृतसंजीवनी की विद्या प्राप्त करने के लिए इस शिवलिंग की पूजा की थी। मुख्य मंदिर में गुरु शुक्राचार्य की मूर्ति और शिवलिंग मौजूद हैं। मंदिर के बाहर नंदी की काले पत्थर की मूर्ति और नंदी के सामने कछुआ भी है।

हिंदू देवता भगवान शुक्र को समर्पित कंजानूर शुक्रन मंदिर (जिसे अग्निश्वर मंदिर भी कहा जाता है) तमिलनाडु के कुंभकोणम से लगभग 18 किलोमीटर दूर कंजानूर में स्थित है। यहाँ भगवान शिव की अग्निश्वर के रूप में पूजा की जाती है। यह नवग्रह मंदिरों में से एक है जहाँ भगवान शुक्रन (शुक्र) की पूजा की जाती है। भक्त साल भर यहाँ आते हैं, सफेद कपड़े और सफेद फूल चढ़ाते हैं और भगवान से शुक्र ग्रह के दोषों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

Point of View

शुक्र ग्रह का मानवीय जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। इसके दोषों से मुक्ति पाने के लिए धार्मिक आस्था के साथ मंदिरों की यात्रा करना एक आदर्श उपाय है। इस प्रकार की मान्यताएँ और पवित्र स्थान हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करते हैं।
NationPress
24/06/2025

Frequently Asked Questions

शुक्र ग्रह की पूजा करने के फायदे क्या हैं?
शुक्र ग्रह की पूजा करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और प्रेम की प्राप्ति होती है।
कौन से मंदिरों में शुक्र ग्रह की पूजा करनी चाहिए?
आप शुक्रेश्वर महादेव मंदिर, कचेश्वर मंदिर और कंजानूर शुक्रन मंदिर में पूजा कर सकते हैं।
क्या शुक्र ग्रह के दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है?
जी हां, विभिन्न मंदिरों में पूजा करने से शुक्र ग्रह के दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
शुक्र ग्रह की महादशा कितने समय तक चलती है?
शुक्र की महादशा 20 वर्षों तक चलती है।
क्या मीन राशि पर शुक्र की कृपा होती है?
जी हां, मीन राशि के जातकों पर शुक्र देव की विशेष कृपा होती है।