क्या झारखंड शराब घोटाले में एसीबी ने आईएएस मनोज कुमार से पूछताछ की?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड शराब घोटाले की जांच में एसीबी सक्रिय है।
- पूर्व आईएएस अधिकारी मनोज कुमार से पूछताछ की गई।
- गिरफ्तार आरोपियों की संख्या बढ़ रही है।
- राज्य को 129.55 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- फर्जी बैंक गारंटी का मामला सामने आया है।
रांची, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में हुई प्रमुख शराब घोटाले की जांच के तहत, राज्य के पूर्व उत्पाद सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मनोज कुमार से बुधवार को एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने कई घंटों तक पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार, एजेंसी के अधिकारियों ने उनसे घोटाले से जुड़े वित्तीय और प्रशासनिक निर्णयों पर विस्तृत सवाल किए। हालांकि, उनके जवाबों से एसीबी के अधिकारी संतुष्ट नहीं दिखे, जिसके बाद उन्हें गुरुवार को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
मनोज कुमार को कुछ दिन पहले ही एसीबी ने नोटिस भेजा था। इसके चलते वे बुधवार को निर्धारित समय पर एसीबी मुख्यालय पहुंचे, जहाँ उनसे दो चरणों में लंबी पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान उनसे शराब दुकानों के संचालन, टेंडर प्रक्रिया, और चयनित कंपनियों की बैंक गारंटी से जुड़ी अनियमितताओं पर जवाब मांगे गए।
एसीबी की जांच में खुलासा हुआ है कि झारखंड सरकार की ओर से शराब दुकानों के संचालन और मैनपावर सप्लाई का ठेका पाने वाली सात प्लेसमेंट कंपनियों ने टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया था। इन कंपनियों द्वारा जमा की गई बैंक गारंटी फर्जी पाई गई, जिससे राज्य सरकार को 129.55 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यह जानकारी झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई थी।
अब तक की जांच में शराब घोटाले की कुल राशि 150 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। एसीबी ने इस घोटाले के सिलसिले में पहले कई राज्यों में छापेमारी की थी और 10 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जो इसी नेटवर्क से जुड़े बताए जाते हैं। इस प्रकरण में पहले ही पूर्व आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, रिटायर्ड आईएएस अमित प्रकाश, जेएएस अधिकारी गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और प्रिज्म होलोग्राफी कंपनी के निदेशक विधु गुप्ता को गिरफ्तार किया जा चुका है।
हालांकि, समय पर चार्जशीट दाखिल न होने के कारण ये सभी आरोपी अदालत से जमानत पर बाहर हैं। एसीबी सूत्रों ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में कई और अधिकारियों और कारोबारियों से पूछताछ की जा सकती है। एजेंसी इस मामले में वित्तीय लेनदेन और फर्जी बैंक गारंटी की कड़ियों को जोड़ने में जुटी है, ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जा सके।