क्या प्री-प्राइमरी के 38 लाख नन्हे बच्चों ने कीर्तिमान बनाया?

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क्या प्री-प्राइमरी के 38 लाख नन्हे बच्चों ने कीर्तिमान बनाया?

सारांश

लखनऊ में आयोजित बाल मेले में 38 लाख बच्चों ने भाग लेकर शिक्षा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह उत्सव बच्चों की रचनात्मकता और आत्मविश्वास को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बना। जानिए इस आयोजन की खास बातें और इसके पीछे का महत्व।

Key Takeaways

  • 38 लाख बच्चों की सहभागिता ने नया कीर्तिमान स्थापित किया।
  • बाल मेले ने बच्चों की रचनात्मकता और आत्मविश्वास को बढ़ावा दिया।
  • 75 जिलों में एक साथ आयोजित।
  • सरकार की बाल-केंद्रित नीतियों का प्रभाव।
  • खेल आधारित शिक्षा पर जोर।

लखनऊ, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, जब प्रदेश के 50 हजार से अधिक बालवाटिकाओं में 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के 38 लाख से अधिक नन्हे बच्चों ने अभूतपूर्व उत्साह के साथ बाल मेले में भाग लेकर पूरे प्रदेश को बाल सशक्तिकरण, रचनात्मकता और नवरंग उमंग से सराबोर कर दिया। यह संख्या न केवल शिक्षा विभाग की ऐतिहासिक उपलब्धि का प्रमाण है, बल्कि यह यह भी दर्शाती है कि सरकार का प्रारम्भिक शिक्षा अभियान अब नई ऊंचाइयों को छूने लगा है।

उत्तर प्रदेश के लिए यह दिन प्रारम्भिक बाल शिक्षा के इतिहास में नई इबारत लिखने वाला साबित हुआ। विभाग के प्रयास से आयोजित इस विशाल बाल मेले ने यह सिद्ध कर दिया कि सरकार की ‘बच्चों के शुरुआती सीखने के अधिकार’ को केंद्र में रखने वाली नीतियां अब जमीनी स्तर पर व्यापक प्रभाव डाल रही हैं। प्रदेश के 75 जिलों में एक साथ आयोजित यह मेला बच्चों की रचनात्मक क्षमताओं, सामाजिक व्यवहार, आत्मविश्वास और बुनियादी सीखने के स्तर को मजबूत करने पर केंद्रित रहा।

गतिविधियों में रंगभेद खेल, चित्रांकन, बौद्धिक खेल, संवेदी गतिविधियां और बच्चों द्वारा संचालित खेल स्टॉल प्रमुख आकर्षण रहे। जिस पैमाने पर यह आयोजन हुआ, वह अब तक अभूतपूर्व रहा। 50 हजार से अधिक बालवाटिकाएं, 38 लाख प्रतिभागी और लाखों अभिभावकों की सक्रिय उपस्थिति ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी अनोखा बना दिया है।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में बालवाटिकाओं के बच्चों की सामूहिक सहभागिता यह प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश अब देश में प्रारम्भिक बाल शिक्षा का नेतृत्व करने की स्थिति में है। यह सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि अभिभावकों और समुदाय का वह विश्वास है जो योगी सरकार की बाल-केंद्रित नीतियों को और मजबूत कर रहा है। यह बाल मेला केवल एक दिवस का आयोजन नहीं, बल्कि व्यापक रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप फाउंडेशनल स्टेज को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। यह मेला बच्चों को खेल आधारित शिक्षा, सामाजिक सहभागिता और जॉयफुल लर्निंग का वास्तविक अनुभव देने वाला रहा।

माना जा रहा है कि यह प्रयास सरकार के स्कूल रेडिनेस मूवमेंट को मजबूती प्रदान करेगा। यह भी ध्यातव्य है कि प्रदेश में इस समय 38 लाख से अधिक बच्चे बालवाटिकाओं से जुड़कर अपनी स्कूली यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं और बाल मेला इसी यात्रा को आनंदमय बनाने का प्रयास है। सरकार का लक्ष्य आने वाले महीनों में इन केंद्रों को फाउंडेशनल लर्निंग के मॉडल केंद्र के रूप में विकसित करना है, जहां ईसीसीई एजुकेटर और शिक्षकों को संयुक्त रूप से बच्चों की विकासात्मक जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित किया जाना है। मेले के दौरान बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और पोषण मानकों का विशेष ध्यान रखा गया।

जिला प्रशासन, आईसीडीएस, बेसिक शिक्षा विभाग और स्थानीय समुदाय की साझा भागीदारी ने आयोजन को उत्सव में बदल दिया। अभिभावकों में भी इस आयोजन को लेकर गहरा उत्साह था। कई जिलों में अभिभावकों ने बच्चों के प्रदर्शन देखकर अपनी खुशी और गर्व व्यक्त किया।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा कि बाल मेला खेल आधारित सीखने का सबसे शक्तिशाली मंच है। जिस पैमाने पर बच्चों ने भाग लिया है, वह हमारे फाउंडेशनल स्टेज कार्यक्रम को नई ऊर्जा देता है। भविष्य में हम इसे और व्यापक रूप में लागू करेंगे।

Point of View

तो शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाना संभव है। प्रारम्भिक शिक्षा को सशक्त बनाना हमारी जिम्मेदारी है, और यह मेला उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

बाल मेले में कितने बच्चों ने भाग लिया?
बाल मेले में 38 लाख से अधिक बच्चों ने भाग लिया।
यह बाल मेला किस उद्देश्य से आयोजित किया गया?
यह बाल मेला बच्चों की रचनात्मकता, आत्मविश्वास और सामाजिक व्यवहार को बढ़ाने के लिए आयोजित किया गया।
कितने जिलों में यह मेला आयोजित किया गया?
यह मेला प्रदेश के 75 जिलों में एक साथ आयोजित किया गया।
इस आयोजन का महत्व क्या है?
यह आयोजन बच्चों के लिए शिक्षा, खेल और सामाजिक सहभागिता के महत्व को दर्शाता है।
सरकार की कौन सी नीतियों ने इस आयोजन को संभव बनाया?
सरकार की 'बच्चों के शुरुआती सीखने के अधिकार' वाली नीतियों ने इस आयोजन को संभव बनाया।
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