क्या मेनका गांधी ने चार धाम यात्रा में जानवरों पर हो रही क्रूरता पर चिंता जताई?

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क्या मेनका गांधी ने चार धाम यात्रा में जानवरों पर हो रही क्रूरता पर चिंता जताई?

सारांश

बीजेपी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी ने चार धाम यात्रा के दौरान जानवरों पर हो रही अमानवीय क्रूरता को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यदि हम जानवरों और जंगलों का ध्यान नहीं रखेंगे, तो टूरिज्म पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। क्या भगवान भी इस स्थिति को देखकर दुखी हैं?

Key Takeaways

  • जानवरों के साथ अमानवीय व्यवहार की समस्या बढ़ती जा रही है।
  • पर्यावरण और टूरिज्म का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
  • सरकार को नियमों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
  • मेनका गांधी का बयान इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करता है।
  • जानवरों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।

मुंबई, १३ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बीजेपी की वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद और प्रसिद्ध एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मेनका गांधी ने चार धाम यात्रा को लेकर एक विवादित लेकिन गंभीर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अब ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान भी चार धाम को छोड़कर जा चुके हैं। यात्रा के दौरान जानवरों पर हो रही अमानवीय क्रूरता को लेकर उन्होंने गहरी चिंता जताई और कहा कि जब हम ऊपर पहुंचते हैं तो मिट्टी, कंक्रीट और बेजुबान जानवरों की पीड़ा देखकर दिल टूट जाता है।

मेनका गांधी ने कहा कि अगर हम अपने जंगल और जानवर का ध्यान रखेंगे तो हम टूरिज्म इंडस्ट्री में बहुत अच्छा कर सकते हैं। लेकिन यहां जंगलों को उजाड़कर होटल बनाए जा रहे हैं, जब जंगल ही नहीं रहेंगे तो टूरिस्ट क्या देखने आएंगे? उन्होंने कहा कि जिस तरह का व्यवहार जानवरों के साथ किया जा रहा है, वह बहुत गलत है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और अधिक कमाई के लालच में मालिक जानवरों से लगातार काम कराते रहते हैं, जिस वजह से जानवरों को नुकसान पहुंच रहा है।

पिछले साल केवल हेमकुंड साहिब से ही ७०० जानवर नीचे गिरकर मर गए थे। ऐसे हालात में भला कौन-सा भगवान यहां टिकेगा? पहले जहां घास के मैदान और फूलों से सजे नजारे होते थे, वहां अब चारों ओर कंक्रीट ही कंक्रीट दिखाई देता है। यह दृश्य किसी को भी दुखी कर सकता है।

दरअसल, मेनका गांधी पहले भी चार धाम यात्रा में जानवरों की स्थिति पर सवाल उठाती रही हैं। उनका मानना है कि इस यात्रा के दौरान बेजुबान घोड़े-खच्चरों से जिस तरह का कठोर श्रम करवाया जाता है, वह न केवल अमानवीय है बल्कि यह प्राकृतिक और धार्मिक संतुलन को भी बिगाड़ रहा है।

चार धाम यात्रा, खासकर केदारनाथ और हेमकुंड जैसे धामों की यात्रा, बेहद कठिन और दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरती है। यहां कई श्रद्धालु, खासकर बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे पैदल चढ़ाई नहीं कर पाते। ऐसे में यात्रा का बड़ा हिस्सा घोड़े-खच्चरों के सहारे पूरा किया जाता है।

हालांकि, सरकार इन जानवरों के इस्तेमाल को लेकर हर साल नियम बनाती है, जैसे इन्हें पर्याप्त आराम देना, खाना-पानी की व्यवस्था और एक निश्चित दूरी तक ही काम करने का प्रावधान। लेकिन हकीकत में इन नियमों का पालन नहीं होता।

Point of View

बल्कि यह हमारे प्राकृतिक संतुलन का भी मामला है।
NationPress
13/09/2025

Frequently Asked Questions

चार धाम यात्रा में जानवरों की स्थिति क्या है?
चार धाम यात्रा में जानवरों को अत्यधिक काम कराया जाता है, जो कि अमानवीय है।
क्या सरकार जानवरों के लिए नियम बनाती है?
हां, सरकार हर साल जानवरों के लिए नियम बनाती है, लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता।
मेनका गांधी ने इस पर क्या कहा है?
मेनका गांधी ने जानवरों पर हो रही क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाई है और इसके लिए गंभीर चिंता जताई है।