क्या आधार सिर्फ पहचान के लिए है? वोटर लिस्ट से नाम नहीं कटेगा, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
सारांश
Key Takeaways
- आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान की पुष्टि के लिए होगा।
- नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
- मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने का आधार नहीं।
- अन्य दस्तावेजों का भी मान्य होना।
- लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में कदम।
नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे में स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया (एसआईआर) में आधार कार्ड का उपयोग केवल व्यक्तियों की पहचान की पुष्टि के लिए किया जा रहा है। आधार किसी की नागरिकता को प्रमाणित करने का दस्तावेज नहीं है।
आयोग ने बताया कि किसी के पास आधार कार्ड होने या न होने के कारण मतदाता सूची में उसका नाम नहीं जोड़ा जाएगा और न ही हटाया जाएगा। यह कदम केवल डुप्लिकेट नाम हटाने और सही पहचान सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
हलफनामे में आयोग ने 8 सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि आधार का उपयोग पहचान सत्यापन के लिए किया जा सकता है। इसी के अनुसार, आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिए थे कि आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान के लिए किया जाए।
आयोग ने आधार अधिनियम की धारा 9 और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 23(4) का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता है। इसे वोटर सूची में नाम जोड़ने या हटाने का आधार नहीं बनाया जा सकता।
यह मामला बिहार में मतुआ समुदाय और अन्य लोगों के बीच चिंता का विषय बना हुआ था। कई लोग इस बात से चिंतित थे कि पुराने दस्तावेजों के अभाव में उनका नाम वोटर सूची से हटा दिया जाएगा, लेकिन आयोग ने यह स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं होगा। पहचान की जांच के लिए आधार के अलावा अन्य दस्तावेज जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड आदि भी मान्य हैं।
चुनाव आयोग ने कहा कि उसका उद्देश्य पारदर्शी और सही मतदाता सूची तैयार करना है। किसी भी नागरिक का वोटिंग का अधिकार नहीं छिना जाएगा। बिहार में चल रही मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया में इन निर्देशों का सख्ती से पालन होगा।
आयोग ने सभी राज्यों को भी यही निर्देश दिए हैं कि आधार का गलत उपयोग न हो। यह कदम लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में है।