क्या सफदरजंग अस्पताल में मायोपिया क्लिनिक बच्चों की आंखों की सेहत को नई दिशा देगा?
सारांश
Key Takeaways
- मायोपिया की पहचान और इलाज में मदद करेगा।
- बच्चों के लिए आधुनिक उपचार उपलब्ध होंगे।
- विज़ुअल हाइजीन को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
- बच्चों को स्क्रीन टाइम कम करने की सलाह दी जाएगी।
- बच्चों की रेटिना की नियमित जांच की जाएगी।
नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल की बदलती जीवनशैली और डिजिटल उपकरणों के अति उपयोग के कारण बच्चों और युवाओं में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इस गंभीर समस्या को देखते हुए, सफदरजंग अस्पताल में एक विशेष मायोपिया क्लिनिक की स्थापना की गई है।
नेशनल मायोपिया वीक के अवसर पर 14 नवंबर को इस क्लिनिक का उद्घाटन किया गया। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. चारु बाम्बा द्वारा इसका शुभारंभ किया गया, जिसमें नेत्र विभाग के प्रमुख डॉ. अनुज मेहता और मायोपिया क्लिनिक के प्रभारी डॉ. पंकज रंजन भी उपस्थित थे।
अस्पताल के अनुसार, यह क्लिनिक बच्चों में मायोपिया की पहचान, उसकी मॉनिटरिंग और समय पर इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्लिनिक में बच्चों की आंखों की जांच के साथ-साथ मायोपिया नियंत्रण से जुड़े आधुनिक उपचार भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इनमें लो-डोज एट्रोपिन आई ड्रॉप्स, विशेष प्रकार के लेंस और मायोपिया कंट्रोल ग्लासेस शामिल हैं।
विशेषज्ञ बच्चों और माता-पिता को स्क्रीन टाइम कम करने, सही रोशनी में पढ़ने, आंखों को आराम देने के नियम और विज़ुअल हाइजीन से संबंधित महत्वपूर्ण बातें भी समझाएंगे। इसके अलावा, जिन बच्चों में मायोपिया अधिक है, उनकी रेटिना की नियमित जांच और निवारक देखभाल भी की जाएगी।
अस्पताल का कहना है कि मायोपिया केवल चश्मा लगाने तक सीमित नहीं है। यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह आगे चलकर गंभीर समस्या बन सकता है। इसलिए बच्चों को रोजाना थोड़ा समय बाहर खेलने देना, मोबाइल और टैबलेट का उपयोग कम करना और आंखों को आराम देना बेहद आवश्यक है।
सफदरजंग अस्पताल की यह पहल बच्चों की आंखों की सेहत को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि इस क्लिनिक के माध्यम से न केवल बच्चों का इलाज होगा, बल्कि माता-पिता में भी जागरूकता बढ़ेगी। इससे भविष्य में मायोपिया को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और बच्चों की आंखों का भविष्य सुरक्षित होगा।