क्या आदित्य ठाकरे ने निशिकांत दुबे पर तीखा हमला किया है?

सारांश
Key Takeaways
- आदित्य ठाकरे ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर तीखा हमला किया।
- दुबे के बयानों को महाराष्ट्र विरोधी बताया गया।
- बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाया गया।
- महाराष्ट्र की एकता पर जोर दिया गया।
- राजनीतिक रणनीति को समाज में विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और उनकी पार्टी भाजपा की विचारधारा पर कड़ा हमला किया। उन्होंने निशिकांत दुबे के बयानों को महाराष्ट्र विरोधी बताते हुए कहा कि वह न तो बिहार, न उत्तर प्रदेश और न ही हिंदी भाषा के प्रतिनिधि हैं, बल्कि केवल बीजेपी की "तोड़ो-फोड़ो, राज करो" की विचारधारा का प्रतीक हैं।
दरअसल, छह जुलाई को निशिकांत दुबे ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा था कि हिंदी भाषी लोगों को मुंबई में मारने वाले यदि हिम्मत है तो महाराष्ट्र में उर्दू बोलने वालों को मारकर दिखाएं। अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है? कौन कुत्ता, कौन शेर खुद ही फैसला कर लो।
इस पर आदित्य ठाकरे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी और निशिकांत दुबे का बयान एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जो समाज को बांटने का कार्य करती है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी हार के डर से हिंदू-मुस्लिम या जातिगत मुद्दों को हवा देती है। उन्होंने बिहार के चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि निशिकांत दुबे को वहां की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन उनकी नीतियां और बयान महाराष्ट्र के प्रति नफरत और द्वेष को दर्शाते हैं।
उन्होंने दावा किया कि बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बदलाव की लहर है और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ सकता है। आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र की एकता पर जोर देते हुए कहा कि यह राज्य पूरे देश से आए लोगों का स्वागत करता है।
कोविड काल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब पूरा देश संकट में था, तब उद्धव ठाकरे ने बतौर मुख्यमंत्री सभी को महाराष्ट्र में रहने का आह्वान किया था।
आदित्य ठाकरे ने कहा, "हमारा झगड़ा हिंदी भाषी या किसी समुदाय से नहीं, बल्कि सरकार की गलत नीतियों से है।" उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि बीजेपी के बयानों से गुस्सा होना स्वाभाविक है, लेकिन इसका जवाब राजनीतिक तरीके से देना होगा।
उन्होंने गठबंधन की रणनीति पर भी बात की। आदित्य ठाकरे ने कहा कि शिवसेना, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों का गठबंधन महाराष्ट्र में लोगों के हितों के लिए काम कर रहा है। तीसरी भाषा नीति के विरोध में एकजुट हुए संगठनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में दो भाइयों (शिवसेना और अन्य सहयोगी) के एक साथ आने का उत्साह दिख रहा है। इस जोश को बनाए रखने के लिए रणनीति पर काम करना होगा।
निशिकांत दुबे के बयानों को सामाजिक नहीं, बल्कि राजनीतिक बताते हुए ठाकरे ने कहा कि बीजेपी की नीतियां महाराष्ट्र के खिलाफ हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से एकजुट रहने और बीजेपी की विभाजनकारी नीतियों का जवाब वोटों के जरिए देने की अपील की।