क्या आपातकाल लोकतंत्र पर एक क्रूर हमला था, मौलिक अधिकारों का दमन हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है।
- मौलिक अधिकारों का दमन किया गया था।
- उस दौर की भयावहता को हमें याद रखना चाहिए।
- नई पीढ़ी को इस ऐतिहासिक सच्चाई से अवगत कराना आवश्यक है।
- इंदिरा गांधी के खिलाफ अदालत के निर्णय के बाद आपातकाल लगाया गया।
जम्मू, २४ जून (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस के साथ एक विशेष बातचीत में आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय बताया।
उन्होंने कहा कि २५ जून १९७५ की रात जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया, वह वास्तव में लोकतंत्र पर एक क्रूर हमला था। इस दौरान हमारे मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की आज़ादी समाप्त कर दी गई और पूरा देश एक जेल में तब्दील हो गया। न केवल राजनेताओं को, बल्कि हर उस व्यक्ति को जो सरकार के खिलाफ बोलता था, जेल में डाल दिया जाता था। उस समय दहशत का माहौल था। पुलिस कम, कांग्रेस के नेता ज्यादा निर्देश देते थे।
कविंदर गुप्ता ने आगे कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के बाद आपातकाल देश पर थोप दिया गया। यह उस समय का काला इतिहास था। एक लोकतांत्रिक देश में ऐसा तानाशाही माहौल बनाया गया कि लोग डर के साये में जीने को मजबूर थे।
कविंदर गुप्ता ने अपने व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया कि वे उस समय पोस्टर छापने और दीवार लेखन जैसे कार्यों में सक्रिय थे। एक रात चार बजे उन्हें घर से गिरफ्तार किया गया। जेल में उन्हें बुरी तरह से मारा गया। सात दिन का रिमांड लिया गया और थाने में रखा गया। कांग्रेस ने हमेशा अपने फायदे के लिए कानूनों में बदलाव किया, सरकारें गिराईं। आपातकाल का वह दौर देश कभी नहीं भूलेगा। २१ महीने का आपातकाल भारत के लिए एक काला इतिहास था। कांग्रेस ने देश को बंधक बना लिया था। जबरदस्ती नसबंदी, जजों और अधिकारियों पर दबाव, यह सब उस समय की हकीकत थी। नई पीढ़ी को इस इतिहास से अवगत कराने की आवश्यकता है ताकि ऐसा दौर फिर कभी न आए।
आपातकाल के गवाह रहे सुनील गुप्ता ने भी उस दौर की भयावहता को याद किया। उन्होंने कहा, "मैं तब १४ साल का था। इंदिरा गांधी ने पूरे देश को जेल बना दिया था। यह कांग्रेस का देश पर लगाया गया काला धब्बा था। विरोध करने वालों को जेल में डालकर प्रताड़ित किया जाता था। हमारे घर के चार-पाँच लोग गिरफ्तार हुए। मैंने भी गिरफ्तारी दी। हम डरते नहीं थे, क्योंकि हम देशभक्ति के लिए लड़ रहे थे। उस वक्त जो भारत माता की जय बोलता था, उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था।"
उन्होंने कहा, "आरएसएस एक देशभक्त संगठन है, लेकिन उसे भी बैन कर दिया गया। आपातकाल हटने के बाद इंदिरा गांधी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।"