क्या रविवार का व्रत आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अचूक है?
सारांश
Key Takeaways
- रविवार का व्रत आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक है।
- सूर्य देव को अर्घ्य देना विशेष फलदायी है।
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूजा करने का महत्व है।
- गुड़ और तांबे का दान करना चाहिए।
- व्रत रखने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रविवार को सुबह 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन सूर्य और चंद्रमा धनु राशि में उपस्थित रहेंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय शाम 4 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है। यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो वे रविवार का व्रत रख सकते हैं।
पौराणिक ग्रंथों में रविवार व्रत का उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू किया जाता है। इस व्रत को करने से जातक के जीवन में सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है।
इस व्रत की शुरुआत के लिए, जातक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करना चाहिए, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इसके अतिरिक्त, रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र 'ऊं सूर्याय नमः' या 'ऊं घृणि सूर्याय नमः' का जप करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे का दान करने का भी खास महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि तथा सफलता मिलती है।
एक समय भोजन करें, जिसमें नमक का सेवन न करें। यह व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।