क्या आशीष सूद ने दीक्षांत समारोह में क्रिएटिविटी को भारत की विकास यात्रा का प्रमुख स्तंभ बताया?
सारांश
Key Takeaways
- क्रिएटिविटी भारत की विकास यात्रा का मुख्य आधार है।
- कॉलेज ऑफ आर्ट्स ने भारतीय कला को नया दिशा दिया है।
- छात्र क्रिएटिव लीडर बनकर आगे बढ़ रहे हैं।
- दिल्ली सरकार रचनात्मक शिक्षा को प्रोत्साहित कर रही है।
- आर्ट और डिज़ाइन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं।
नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शनिवार को कॉलेज ऑफ आर्ट्स के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर दिल्ली के शिक्षा सचिव, कॉलेज के प्रिंसिपल और छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।
आशीष सूद ने दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यह समारोह केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह आपकी मेहनत, आपकी कल्पना और आपकी अद्वितीय रचनात्मकता का उत्सव है। आपने सिद्ध किया है कि कड़ी मेहनत और समर्पण सदैव सफलता की ओर ले जाते हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि क्रिएटिविटी सभ्यता की ऑक्सीजन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं कि जिस राष्ट्र में क्रिएटिविटी फलती-फूलती है, वही राष्ट्र विश्वगुरु बनता है। प्रधानमंत्री ने कंटेंट, क्रिएटिविटी और कल्चर को भारत की विकास यात्रा के तीन प्रमुख स्तंभों के रूप में बताया है, जिसे वे ऑरेंज इकोनॉमी कहते हैं। इस ऑरेंज इकोनॉमी के सबसे महत्वपूर्ण वाहक छात्र हैं। आज के कलाकार, डिजाइनर, स्कल्पचर, फोटोग्राफर और भविष्य के क्रिएटिव लीडर हैं।
आशीष सूद ने कहा कि क्राफ्ट की बुनियाद पाँच तत्वों—मटीरियल, प्रोसेस, फंक्शन, एस्थेटिक, और कॉन्सेप्ट—पर आधारित है। यही पाँच तत्व आपकी क्रिएटिव प्रैक्टिस को दिशा देते हैं। कला या कला-संग्रहण केवल एक क्षण का निर्णय नहीं है, बल्कि यह एक जीवनभर का अनुभव है। हर आर्ट वर्क किसी भावना, किसी शहर, किसी परंपरा या किसी स्मृति की ओर एक पोर्टल है।
उन्होंने गर्व से कहा कि 1942 में स्थापित कॉलेज ऑफ आर्ट्स ने दशकों से भारतीय कला जगत को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीएफए, एमएफए से लेकर अब पीएचडी कार्यक्रम तक, यह संस्थान केवल शिक्षा ही नहीं बल्कि एक सशक्त इमैजिनेशन इकोसिस्टम तैयार कर रहा है।
सूद ने कहा कि आज की तेज, डिजिटल और ध्यान भटकाने वाली दुनिया में कला हमें फिर से केंद्रित और एकाग्र रखती है। दशकों तक भारतीय कला और शिल्प वैश्विक बाजारों से कटे रहे। अब इस अंतर को मिटाने का समय आ गया है और यह महत्वपूर्ण कार्य आप सभी मिलकर करेंगे। जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, क्रिएटिव इकॉनमी हमारी सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभर रही है। आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण में हमारे कलाकारों, डिजाइनरों और क्रिएटर्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली-2047 के दृष्टिकोण पर बात करते हुए कहा कि आपकी क्रिएटिव कॉन्फिडेंस ही भारत की कल्चरल कॉन्फिडेंस बनेगी। आपकी इमेजिनेशन ही भारत की सॉफ्ट पॉवर को मजबूती देगी। आपके विचार ही भारत की वैश्विक पहचान को नई दिशा देंगे। आपकी रचनात्मकता भारत को आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक हर दृष्टि से नई ऊंचाइयों तक ले जाए। आइए, मिलकर एक विकसित, आत्मनिर्भर और विश्वगुरु भारत के निर्माण की ओर बढ़ें।
शिक्षा मंत्री ने कॉलेज के प्राचार्य, उनकी टीम एवं संकाय सदस्यों को उत्कृष्ट कार्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार कला, संस्कृति और रचनात्मक शिक्षा को निरंतर प्रोत्साहन देती रहेगी।
दीक्षांत समारोह के अवसर पर बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (ग्रेजुएशन) के लिए 227 बच्चों को और मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स (पोस्ट ग्रेजुएशन) के लिए 47 बच्चों को डिग्री प्रदान की गई। इसके अलावा, तीन स्पेशल बच्चों (दो ग्रेजुएशन के लिए और एक पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए) को भी डिग्री दी गई।