क्या अधीर रंजन चौधरी ने बंगाली प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा?

सारांश
Key Takeaways
- अधीर रंजन चौधरी ने पीएम को पत्र लिखकर बंगाली प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न पर चिंता जताई।
- उन्हें गलत तरीके से बांग्लादेशी समझा जा रहा है।
- चौधरी ने तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
- उत्पीड़न के खिलाफ संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा की आवश्यकता है।
- यह पत्र एक महत्वपूर्ण कदम है प्रवासी मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बंगाली प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त करते हुए पत्र लिखा।
अधीर रंजन चौधरी ने पत्र में ओडिशा और महाराष्ट्र में बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न, अपमान और शारीरिक यातना को लेकर गहरी चिंता जताई है।
उन्होंने कहा कि गरीब, मूल भारतीय नागरिकों को उनकी भाषाई पहचान के कारण गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और अक्सर उन्हें बांग्लादेशी नागरिक समझा जाता है। उन्होंने तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए, प्रधानमंत्री से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और गृह मंत्रालय को इन प्रवासी मजदूरों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का कहा।
चौधरी ने पत्र में लिखा, "ओडिशा, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मजदूरी कर रहे गरीब और निर्दोष बंगाली भाषी लोगों को लक्षित उत्पीड़न, अपमान और यातना से संबंधित तथ्यों को देखते हुए, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इन लोगों को उनकी पीड़ा से बचाने के लिए हस्तक्षेप करें। वास्तविक भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका के अधिकार की रक्षा की दिशा में, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को उचित निर्देश दें कि वे पश्चिम बंगाल के अंतर-राज्यीय प्रवासी मजदूरों के अधिकारों की रक्षा हेतु उचित कार्रवाई करें। साथ ही, गृह मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने के लिए कहें कि निर्दोष लोगों को अनुचित कष्ट न सहना पड़े।"
अधीर रंजन चौधरी ने इस गंभीर मुद्दे को पहले भी उठाया है। इससे पहले वह राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पश्चिम बंगाल के निर्दोष श्रमिकों के साथ हो रहे बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार को रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए और संविधान में निहित मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।