क्या अहमदाबाद में 16 साल पुराने बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में सीबीआई कोर्ट ने तीन आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई?
सारांश
Key Takeaways
- बैंक धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई
- सीबीआई की प्रभावशीलता का उदाहरण
- सजा से बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाना
- धोखाधड़ी के मामलों में न्याय सुनिश्चित करना
- फर्जी दस्तावेजों के खिलाफ सख्त नियम
अहमदाबाद, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई की विशेष अदालत ने विजया बैंक (जो अब बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो चुका है) के एक हाउसिंग लोन धोखाधड़ी मामले में तीन निजी व्यक्तियों को दोषी ठहराते हुए प्रत्येक को तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
सीबीआई कोर्ट ने हर आरोपी पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यह सजा 30 दिसंबर 2025 को सुनाई गई, जबकि सीबीआई ने 31 दिसंबर को इसकी आधिकारिक जानकारी दी।
दोषी ठहराए गए आरोपियों में बालमुकुंद मिठाईलाल दुबे, धर्मेश जे. धैर्य और अल्पेश अश्विनभाई ठक्कर शामिल हैं। मुख्य आरोपी जयेश केशुभाई प्रजापति जांच के दौरान फरार है, जिसके कारण उसका मामला अलग रखा गया है।
सीबीआई ने यह मामला 15 दिसंबर 2009 को दर्ज किया था। आरोप था कि जयेश प्रजापति ने अज्ञात विजया बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर मार्च 2004 में झूठी और जाली सैलरी विवरणों और नौकरी से संबंधित दस्तावेजों के आधार पर 4,78,000 रुपए का हाउसिंग लोन लिया था। यह लोन जलविहार सोसाइटी में फ्लैट खरीदने के लिए लिया गया था, लेकिन इसके लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए गए।
जांच में यह भी सामने आया कि जयेश प्रजापति के साथ मिलकर अल्पेश ठक्कर, बालमुकुंद दुबे और धर्मेश धैर्य ने झूठे दस्तावेज बनाए और बैंक को धोखा दिया। इसके अलावा, फर्जी बैंक खाते खोलकर पूरी राशि निकाल ली गई। लोन खाते में बकाया राशि (बिना चुकाई गई किस्तों और ब्याज सहित) लगभग 7,85,109 रुपए तक पहुंच गई, जिससे विजया बैंक को भारी नुकसान हुआ।
जांच के बाद, सीबीआई ने 31 दिसंबर 2010 को चार्जशीट दाखिल की। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने तीन आरोपियों को दोषी पाया। यह मामला बैंक धोखाधड़ी के खिलाफ सीबीआई की सख्त कार्रवाई को दर्शाता है, जिसमें पुराने मामलों में न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है।
सीबीआई के अनुसार, ऐसे मामलों में फर्जी दस्तावेजों और साजिश के जरिए बैंक को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। इस सजा से बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और सतर्कता बढ़ाने का संदेश मिलता है।