क्या अहमदाबाद विमान हादसे ने कल्पना प्रजापति और हार्दिक अवैया को हमेशा के लिए अलविदा कहा?

सारांश
Key Takeaways
- अहमदाबाद विमान हादसे ने कई परिवारों को प्रभावित किया।
- डीएनए मिलान के बाद शव परिजनों को सौंपे गए।
- वडोदरा और बोटाद में शोक का माहौल है।
- परिवारों को सरकारी सहायता मिली है।
- अंतिम यात्रा ने पूरे समुदाय को भावुक कर दिया।
वडोदरा/बोटाद, १५ जून (राष्ट्र प्रेस)। अहमदाबाद में घटित एक भयानक विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले यात्रियों के पार्थिव शरीर अब उनके परिवारों को सौंपे जा रहे हैं। इस हादसे ने कई परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया। रविवार को वडोदरा की कल्पना प्रजापति और बोटाद के हार्दिक अवैया की अंतिम यात्रा ने पूरे समुदाय को भावुक कर दिया। जैसे-जैसे डीएनए मिलान और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी हुईं, मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए।
वडोदरा की निवासी कल्पना प्रजापति का पार्थिव शरीर ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से उनके घर पहुंचा। जैसे ही शव उनके निवास स्थान पर पहुंचा, परिवार और पड़ोसी अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में जुट गए। हर आंख नम थी, किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि अब कल्पना उनके बीच नहीं हैं।
उनकी अंतिम यात्रा मंजलपुर श्मशान घाट तक पहुंची, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे ने कल्पना प्रजापति को मुखाग्नि दी। बेटे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "सरकार से हमें पूरा सहयोग मिला है। डीएनए मैच होने के बाद दस्तावेज संबंधी कार्य पूरा किया गया और फिर हमें शव सौंपा गया।"
बोटाद जिले के अडताला गांव में जैसे ही हार्दिक अवैया का पार्थिव शरीर पहुंचा, गांव में कोहराम मच गया। उनके परिवार का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। जानकारी के अनुसार हार्दिक के पिता देवराज अवैया ने अपनी जमीन बेचकर उन्हें लंदन पढ़ने भेजा था। पिछले तीन वर्षों से हार्दिक लंदन में पढ़ाई और काम कर रहे थे। हाल ही में वे अपनी एक दोस्त से मिलने के लिए आए थे।
अंतिम संस्कार के समय पुलिस और मेडिकल टीम उपस्थित रही। अडताला गांव में गम का माहौल था और हर व्यक्ति की आंखों में आंसू थे। गांव के एक स्थानीय व्यक्ति हसमुख गाबानी ने कहा, "हार्दिक होनहार था। पूरे गांव को उस पर गर्व था। उसकी अचानक मौत से हम सब टूट गए हैं।"