क्या अजमेर दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने पर रोक की मांग उचित है?

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क्या अजमेर दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने पर रोक की मांग उचित है?

सारांश

अजमेर की दरगाह पर चादर चढ़ाने पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया। याचिका में बताया गया है कि यह परंपरा सरकारी तटस्थता के खिलाफ है। क्या यह मामला संविधान के सिद्धांतों से जुड़ा है? जानिए इस मुद्दे पर ताजा अपडेट।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने चादर चढ़ाने पर रोक की मांग पर सुनवाई से इनकार किया।
  • याचिका में सरकारी तटस्थता के सिद्धांत का हवाला दिया गया है।
  • अजमेर दरगाह पर हर साल चादर चढ़ाई जाती है।
  • अगली सुनवाई 3 जनवरी को तय की गई है।
  • इस मुद्दे पर पहले से ही सिविल अदालत में मामला चल रहा है।

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अजमेर में स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर हर साल आयोजित होने वाले उर्स के अवसर पर प्रधानमंत्री और अन्य संवैधानिक पदों पर विराजमान व्यक्तियों की ओर से चादर चढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तात्कालिक सुनवाई से इंकार कर दिया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में सुनवाई की तिथि भविष्य में निर्धारित की जाएगी। आगामी वेकेशन बेंच की बैठक में इस पर चर्चा संभव है।

सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जिस स्थान पर दरगाह अवस्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था। अतः प्रधानमंत्री या अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का चादर चढ़ाना उचित नहीं है। इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों में भाग लेना संविधान में निहित सरकारी तटस्थता के सिद्धांत के खिलाफ है।

जितेंद्र सिंह ने मांग की है कि अजमेर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह पर उर्स के दौरान पीएम और अन्य मंत्रियों द्वारा चादर चढ़ाने की परंपरा पर तात्कालिक रोक लगाई जाए। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया है। अब इस पर वेकेशन बेंच की अगली बैठक में विचार किया जाएगा।

इस बीच, इस मुद्दे को लेकर अजमेर सिविल अदालत में पहले से ही एक मामला विचाराधीन है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने यह चुनौती दी थी कि प्रधानमंत्री की तरफ से उर्स के दौरान चादर चढ़ाने की परंपरा को जारी रखना उचित नहीं है। पिछले गुरुवार को अजमेर की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 जनवरी की तारीख निर्धारित की है।

यह उल्लेखनीय है कि हर वर्ष देश के प्रधानमंत्री और कई अन्य नेताओं के माध्यम से उर्स के दौरान अजमेर की दरगाह में चादर चढ़ाई जाती है। सोमवार को केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने दरगाह पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से चादर चढ़ाई।

Point of View

मेरा मानना है कि हमें इस मामले में सोच-समझकर कदम बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर धार्मिक आयोजन में सभी समुदायों का सम्मान और विचार किया जाए।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से क्यों इनकार किया?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में सुनवाई की तिथि बाद में तय करेगा।
याचिका किसने दायर की थी?
यह जनहित याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन द्वारा दायर की गई थी।
क्या यह मामला पहले से चल रहा है?
हाँ, इस मुद्दे को लेकर अजमेर सिविल अदालत में पहले से ही मामला विचाराधीन है।
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