क्या है अक्षय नवमी का महत्व? आंवले की पूजा और दान से मिलता है अक्षय पुण्य

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क्या है अक्षय नवमी का महत्व? आंवले की पूजा और दान से मिलता है अक्षय पुण्य

सारांश

अक्षय नवमी का महत्व जानें, जिसमें आंवले के वृक्ष की पूजा और दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह खास दिन हमें सिखाता है कि दान से धन कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है।

Key Takeaways

  • अक्षय नवमी
  • इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु
  • दान से धन की वृद्धि होती है, यह सिखाने वाली कथा है।
  • राजा आंवलया की कथा हमें दान के महत्व को समझाती है।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाता है, जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, आंवले के पेड़ की आराधना करते हैं और दान-पुण्य का कार्य करते हैं।

इस दिन आंवले की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु

अक्षय नवमी का उल्लेख पद्म पुराण में किया गया है, जिसमें बताया गया है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को बताया गया था कि आंवले के वृक्ष में जगत के पालनहार श्री हरि का वास है। इस दिन विधि-विधान से पूजन करने पर गोदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

कथा के अनुसार, एक राजा रोज़ाना सवा मन आंवले का दान करता था और उसके बाद ही भोजन करता था। इसीलिए उसका नाम आंवलया राजा पड़ा। राजा के दान से उसके राज्य में खजाने की भरमार रहती थी। यह देखकर उसके पुत्र और बहू को चिंता होने लगी कि अगर पिताजी रोज़ इतने आंवले दान करेंगे तो एक दिन खजाना खत्म हो जाएगा।

बेटे ने सोचा कि पिताजी से इस बारे में बात करनी चाहिए। उसने राजा से कहा, "पिताजी, अब यह दान बंद कर दीजिए। इससे हमारा धन नष्ट हो रहा है।" राजा को बेटे की बात सुनकर दुख हुआ और वह रानी के साथ महल छोड़कर जंगल चले गए। जंगल में उन्होंने आंवला दान नहीं किया और भूख के कारण कमजोर हो गए।

सातवें दिन श्री हरि ने चमत्कार से जंगल में विशाल महल और बाग-बगिचे उत्पन्न कर दिए। राजा और रानी ने देखा तो हैरान रह गए। उन्होंने नहा-धोकर आंवले दान किए और भोजन किया। अब वे जंगल के नए राज्य में खुशी से रहने लगे।

वहीं, राजधानी में बहू-बेटे ने आंवला देवता और माता-पिता का अपमान किया था, जिसके बाद उनके बुरे दिन शुरू हो गए। वे दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए। काम की तलाश में वे पिता के नए राज्य में पहुंचे, जहाँ बहू-बेटे की हालत देखकर राजा ने उन्हें महल में काम पर रख लिया।

एक दिन बहू ने सास के बाल गूंथते समय उनकी पीठ पर एक मस्सा देखा और सोचा, "हमने धन बचाने के चक्कर में उन्हें दान करने से रोका और आज वे कहां होंगे?" वह रोने लगी। रानी ने पूछा, "बेटी, तुम क्यों रो रही हो?" बहू ने सारा हाल बताया। रानी ने उसे पहचान लिया और राजा-रानी ने समझाया, "दान से धन कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है।" बेटे-बहू को पश्चाताप हुआ और वे सब मिलकर सुख से रहने लगे।

Point of View

और यह त्योहार इस संदेश को रेखांकित करता है।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

अक्षय नवमी कब मनाई जाती है?
अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है।
इस दिन आंवले की पूजा का महत्व क्या है?
इस दिन आंवले की पूजा से व्यक्ति को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
अक्षय नवमी से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?
इस दिन की कथा राजा आंवलया के दान से जुड़ी हुई है, जो दान से धन की वृद्धि का प्रतीक है।
इस दिन कौन-कौन से कार्य करने चाहिए?
इस दिन आंवले का दान, पूजा और भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए।
क्या दान का कोई विशेष महत्व है?
दान से धन कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है। यह सच्चे धन का प्रतीक है।