क्या है अक्षय नवमी की सही तिथि, पूजा विधि और महत्व?

Click to start listening
क्या है अक्षय नवमी की सही तिथि, पूजा विधि और महत्व?

सारांश

अक्षय नवमी का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। जानें इस दिन की पूजा विधि, महत्व और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी। क्या आप जानते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से कैसे मिलता है अक्षय पुण्य? इस लेख में जानें इस विशेष दिन के बारे में।

Key Takeaways

  • अक्षय नवमी का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
  • भगवान विष्णु की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • आंवला खाने का विशेष महत्व है।
  • इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सुख और समृद्धि मिलती है।
  • यह पर्व देवउठनी एकादशी से पहले आता है।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि गुरुवार को (30 अक्टूबर) सुबह 10 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं और यह जगद्धात्री पूजा के रूप में भी मनाई जाती है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार के दिन सूर्य देव तुला राशि में और चंद्रमा मकर राशि में स्थित होंगे। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से 2 बजकर 51 मिनट तक होगा।

आंवला नवमी का उल्लेख पद्म पुराण और स्कंद पुराण दोनों में मिलता है। इन पुराणों के अनुसार, आंवले का पेड़ भगवान विष्णु का अवतार है और इसकी पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

यह पर्व देवउठनी एकादशी से दो दिन पहले मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी, जिससे इस दिन किए गए कार्यों का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन आंवला खाना और उसके पेड़ की पूजा करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, मथुरा-वृंदावन में भी इस दिन कई लोग परिक्रमा के लिए जाते हैं।

मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति साल भर सुखी और संपन्न रहता है। इस दिन आंवला खाने से रोगों से मुक्ति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। महिलाएँ विशेष रूप से इस व्रत को रखती हैं।

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें और घर या मंदिर में (आप चाहें तो दोनों जगह पूजन कर सकती हैं, खासकर महिलाएं घर में पूजा करती हैं) भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।

इसके बाद उन्हें पीले पुष्प, तुलसी दल, दीपक, धूप और नैवेद्य अर्पित करें। फिर, 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। इसके बाद आंवला वृक्ष की पूजा करें। उन्हें कच्चे सूत से वृक्ष की परिक्रमा करें और जल अर्पित करें। इसके बाद हल्दी, रोली, फूल और दीपक से पूजा करें। गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन और दान दें। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करें।

Point of View

जो हमें धार्मिकता और आस्था की याद दिलाता है। यह दिन न केवल पूजा का अवसर है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का संचार भी करता है। इसे मनाने के पीछे की मान्यताएँ हमें एकता और सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने की प्रेरणा देती हैं।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

अक्षय नवमी कब मनाई जाती है?
अक्षय नवमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 30 अक्टूबर को है।
अक्षय नवमी का क्या महत्व है?
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और यह दिन सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
इस दिन क्या विशेष पूजा की जाती है?
इस दिन आंवले का पेड़ पूजा जाता है और आंवला खाने का भी विशेष महत्व है।