क्या अलौली विधानसभा पासवान परिवार का गढ़ रहेगा? बेरोजगारी और विकास के मुद्दे?
सारांश
Key Takeaways
- अलौली विधानसभा पासवान परिवार का गढ़ है।
- बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
- क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है।
- अलौली की जनसंख्या 4,46,637 है।
- 2025 के चुनावों में मतदान 6 नवंबर को होगा।
खगड़िया, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए पक्ष और विपक्ष के नेता हर सीट पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। अलौली विधानसभा सीट को पासवान परिवार का राजनीतिक गढ़ माना जाता है, जो इसकी खासियत को और भी बढ़ाता है।
दिवंगत रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर इसी अलौली विधानसभा सीट से शुरू हुआ था। यह सीट आज भी पासवान परिवार के प्रभाव का प्रतीक बनी हुई है। रामविलास पासवान ने 1969 में केवल 23 वर्ष की आयु में यहां अपनी पहली और अंतिम जीत हासिल की थी। इसके बाद 1972 में हारने के बाद वे केंद्रीय राजनीति में व्यस्त हो गए, जबकि उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने इस सीट को सात बार (छह बार लगातार) जीता। दोनों भाइयों ने समाजवादी दलों जैसे जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), आरजेडी और एलजेपी का प्रतिनिधित्व किया। रामविलास ने एलजेपी की स्थापना की, जो आज चिराग पासवान के नेतृत्व में एनडीए का हिस्सा है।
यह सीट पूरी तरह से ग्रामीण है, जहां शहरीकरण की कमी विकास की चुनौतियों को उजागर करती है। अलौली खगड़िया जिले का एक महत्वपूर्ण सामुदायिक विकास खंड है, जो खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। 1962 में स्थापित यह सीट एससी के लिए आरक्षित है और इसमें अलौली ब्लॉक के साथ खगड़िया ब्लॉक की 18 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है, जहां अलौली लूना और सालंदी नदियों के किनारे बसा है। यहां का सपाट इलाका धान, गेहूं और सब्जियों की खेती के लिए आदर्श है। अधिकांश निवासी खेती, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में लगे रहते हैं। हालांकि, सीमित रोजगार के कारण युवा पलायन कर रहे हैं। लोग खगड़िया, पटना और अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में जाते हैं।
अलौली में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस ने 1962, 1967, 1972 और 1980 में चार बार जीत हासिल की। समाजवादी दलों ने 11 बार सफलता पाई है। हालिया चुनावों में आरजेडी का दबदबा रहा है। 2015 में जदयू-आरजेडी महागठबंधन ने 24,470 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि 2020 में चिराग पासवान की लोजपा ने बगावत की, जिससे वोट बंट गए।
चुनाव आयोग की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, अलौली की कुल जनसंख्या 4,46,637 है, जिसमें पुरुष 2,29,399 और महिलाएं 2,17,238 हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 2,63,554 है।
2025 के चुनाव में अलौली में पहले चरण (6 नवंबर) में मतदान होगा। बेरोजगारी, शिक्षा, प्रवासन और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। जातीय समीकरण में पासवान वोट निर्णायक साबित होंगे।