क्या ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किरेन रिजिजू से मुलाकात की?
सारांश
Key Takeaways
- वक्फ संपत्तियों के अपलोड में आ रही गंभीर समस्याओं पर चर्चा हुई।
- मंत्री से राहत की मांग की गई।
- समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया।
- प्रौद्योगिकी खामियों को शीघ्र हल करने की आवश्यकता है।
- संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की दिशा में कदम।
नई दिल्ली, ११ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू से बैठक की।
इस वार्ता में वक्फ संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर अपलोड करने में आने वाली गंभीर तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की गई। बोर्ड ने मंत्री के सामने इन मुद्दों को रखते हुए राहत की मांग की, ताकि समुदाय पर अनावश्यक दबाव कम किया जा सके।
उम्मीद पोर्टल, जो वक्फ संपत्तियों के डिजिटल रजिस्ट्रेशन के लिए जून २०२५ में लॉन्च किया गया था, पर संपत्तियों को अपलोड करना मुतवल्लियों और वक्फ बोर्डों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। निर्धारित छह महीने की समयसीमा को अपर्याप्त बताते हुए बोर्ड ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप देशभर में लाखों संपत्तियां अपलोड नहीं हो पाईं।
कई राज्यों जैसे पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के वक्फ बोर्डों को भी समयसीमा पूरी न कर पाने के कारण ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाना पड़ा, जो यह दर्शाता है कि स्वयं बोर्ड भी निर्धारित अवधि में कार्य पूरा करने में असमर्थ रहे। इसके अलावा, पोर्टल के लॉन्च होने की तारीख और नियमों के पूर्ण रूप से लागू होने में अंतर के कारण भी मुतवल्लियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा, क्योंकि आवश्यक फॉर्म और प्रक्रियाएं बाद में जारी की गईं।
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से स्पष्ट रूप से यह मांग की कि अपंजीकृत वक्फ संपत्तियों को अपलोड करने की अंतिम तिथि को कम से कम एक वर्ष और बढ़ाया जाए। साथ ही, समुदाय पर पड़ रहे अनुचित दबाव को कम करने के लिए पोर्टल की तकनीकी खामियों को शीघ्र हल किया जाए।
बोर्ड ने यह भी कहा कि पोर्टल का ६ जून २०२५ को लॉन्च होना नियमों की शुरुआत नहीं माना जा सकता, क्योंकि इससे संबंधित आवश्यक प्रक्रियाएं और दस्तावेज बाद में उपलब्ध कराए गए थे।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब उम्मीद पोर्टल पर अपलोड की समयसीमा ६ दिसंबर को समाप्त हो चुकी है और एक बड़ी संख्या में संपत्तियां अभी भी अपलोड नहीं हो पाई हैं। बोर्ड का मानना है कि इन समस्याओं का समाधान होने से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और समुदाय को भी राहत मिलेगी।