क्या अमरनाथ यात्रा 2025 स्वच्छता की नई मिसाल बनी?

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क्या अमरनाथ यात्रा 2025 स्वच्छता की नई मिसाल बनी?

सारांश

इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा ने स्वच्छता और सतत विकास की एक नई दिशा दिखाई है। लगभग 4 लाख श्रद्धालुओं ने इस बार जीरो वेस्ट यात्रा के माध्यम से स्वच्छता का अनूठा उदाहरण पेश किया। जानिए कैसे इस यात्रा ने पर्यावरण की रक्षा की और लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई।

Key Takeaways

  • जीरो-लैंडफिल यात्रा का सफल आयोजन
  • स्वच्छता के लिए व्यापक उपाय
  • प्लास्टिक-मुक्त यात्रा का लक्ष्य
  • श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड और सरकार का सहयोग
  • 70,000 से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा ग्रीन प्लेज की शपथ

नई दिल्ली, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस) इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा हर वर्ष की भांति आस्था और भक्ति का प्रतीक रही, लेकिन यह इस बार स्वच्छता और सतत विकास की एक प्रेरणादायी पहल भी बन गई। लगभग 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने जम्मू-कश्मीर में हिमालय की 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा के दर्शन किए।

इस दौरान श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड और सरकार ने मिलकर वैज्ञानिक कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक-मुक्त यात्रा सुनिश्चित की। इसने इस धार्मिक यात्रा को पूरी तरह जीरो-लैंडफिल और पर्यावरण अनुकूल बनाया। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का कहना है कि यात्रा के दौरान स्वच्छता के लिए पूर्ण व्यवस्था की गई थी। यहां यात्रा के दौरान प्रतिदिन लगभग 11.67 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न हुआ, जिसमें 3.67 एमटी सूखा और 7.83 एमटी गीला कचरा शामिल था।

स्वच्छता की तैयारियों के अंतर्गत 100 प्रतिशत कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण किया गया। जम्मू-कश्मीर के विभिन्न लंगरों और आवास केंद्रों से निकलने वाले गीले कचरे को 3 ऑर्गेनिक कम्पोस्टर (प्रत्येक 1 टन क्षमता) में खाद में बदला गया। वहीं सूखे कचरे को पास के मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज में भेजा गया। सफाई और निगरानी तंत्र के जरिए यात्रा मार्ग पर कुल 1,016 बिन स्टेशन लगाए गए। ये ट्विन-बिन स्टेशन थे। नीला बिन सूखे कचरे के लिए और हरा बिन गीला कचरा एकत्र करने के लिए।

महिलाओं के शौचालयों के पास विशेष सेनेटरी वेस्ट डस्टबिन की व्यवस्था की गई। 65 कचरा संग्रहण वाहन इन कार्यों में लगाए गए। इन वाहनों में भी ट्विन-कम्पार्टमेंट ट्रक शामिल थे। ये वाहन कचरे को अलग-अलग स्थानों तक ले गए। चौबीसों घंटे सफाई के लिए 1,300 सफाई मित्र भी यहां तैनात रहे, जिन्होंने पूरे अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार शौचालय और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की गई। यात्रा मार्ग पर 1,600 से अधिक मोबाइल शौचालय लगाए गए। प्रत्येक शौचालय को प्रतिदिन दो बार सफाई दल द्वारा साफ किया गया। यहां क्यूआर-कोड आधारित फीडबैक सिस्टम से 20,000 से अधिक यात्रियों ने रियल-टाइम सुझाव दिए। यात्रा के दौरान उत्पन्न मलजल को 39 वाहनों से एकत्र कर पास के प्लांट में 100 प्रतिशत ट्रीट किया गया।

इसके साथ ही यहां प्लास्टिक पर रोक भी लगाई गई। सभी लंगरों में सिंगल-यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक थी। यहां आने वाले यात्रियों को 15,000 से अधिक जूट और कपड़े के थैले वितरित किए गए। प्लास्टिक लाओ-थैला ले जाओ जैसे अभियान चलाए गए। ऐसे कार्यक्रमों से प्लास्टिक मुक्त यात्रा को जनआंदोलन बनाया गया। नुक्कड़ नाटक, साइनबोर्ड और सोशल मीडिया अभियान से भी व्यापक जागरूकता फैलाई गई। जनसहभागिता इस पूरे अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही। ग्रीन प्लेज अभियान के तहत 70,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने स्वच्छता और पर्यावरण-अनुकूल आचरण की शपथ ली। यात्रा मार्ग पर प्लेज वॉल, सेल्फी बूथ और स्वच्छता किट के वितरण से श्रद्धालुओं को सक्रिय रूप से जोड़ा गया। जिम्मेदार यात्री और हैप्पी फेस के रूप में चुने गए प्रेरणादायी व्यक्तियों की कहानियां सोशल मीडिया और अन्य चैनलों पर साझा की गई हैं।

अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं का मानना है कि अमरनाथ यात्रा 2025 ने आस्था को स्वच्छ भारत मिशन अर्बन 2.0 के उद्देश्यों से जोड़ते हुए एक नई दिशा दिखाई है। इसलिए इस वर्ष यह यात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं रही, बल्कि स्वच्छता, स्थिरता और पर्यावरण-संरक्षण की मिसाल बनकर देशभर को प्रेरित कर गई। यह ऐतिहासिक पहल आने वाले समय में भारत की अन्य तीर्थयात्राओं और बड़े आयोजनों को भी जीरो-वेस्ट मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।

Point of View

यह मानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अमरनाथ यात्रा ने धार्मिक आस्था को केवल एक यात्रा तक सीमित नहीं रखा, बल्कि यह स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का भी एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस यात्रा ने हमें दिखाया है कि किस प्रकार जनसहभागिता और सरकारी सहयोग से हम एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

इस वर्ष अमरनाथ यात्रा में कितने श्रद्धालुओं ने भाग लिया?
लगभग 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा में भाग लिया।
क्या इस वर्ष यात्रा जीरो वेस्ट थी?
हां, इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा जीरो वेस्ट यात्रा रही, जिसमें प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगाई गई।
स्वच्छता के लिए क्या उपाय किए गए थे?
यात्रा के दौरान 1,600 से अधिक मोबाइल शौचालय लगाए गए और कचरे का 100% वैज्ञानिक प्रसंस्करण किया गया।
यात्रा के दौरान कितनी मात्रा में कचरा उत्पन्न हुआ?
यात्रा के दौरान लगभग 11.67 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न हुआ।
इस यात्रा का उद्देश्य क्या था?
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य स्वच्छता, स्थिरता और पर्यावरण-संरक्षण को बढ़ावा देना था।