क्या अमित शाह 27 अक्टूबर को मझगांव डॉक पर मत्स्य पालकों को डीप-सी फिशिंग वेसल्स की चाबी सौंपेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- अमित शाह का वितरण कार्यक्रम 27 अक्टूबर को मझगांव डॉक पर होगा।
- प्रत्येक डीप-सी फिशिंग वेसल्स की लागत 1.2 करोड़ रुपए है।
- यह पहल सहकारी नेतृत्व को सशक्त बनाएगी।
- महिलाओं के नेतृत्व वाले सहकारी उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा।
- यह परियोजना भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह सोमवार को मुंबई के मझगांव डॉक पर नवीनतम गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों (डीप-सी फिशिंग वेसल्स) का वितरण करने जा रहे हैं।
यह कार्यक्रम भारत के समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारी नेतृत्व को सशक्त बनाने का एक ऐतिहासिक कदम होगा। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार तथा केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल भी उपस्थित रहेंगे।
यह पहल प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत की जा रही है, जिसमें केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) का संयुक्त वित्तीय समर्थन शामिल है। प्रत्येक जहाज की कीमत लगभग 1.2 करोड़ रुपए है। इन जहाजों का वितरण सहकारी समितियों और मत्स्य पालक उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) को किया जाएगा, ताकि वे गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की आधुनिक तकनीक को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में योगदान कर सकें।
अमित शाह द्वारा लाभार्थियों को जहाजों की चाबियाँ देना न केवल मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारिता की नई दिशा स्थापित करेगा, बल्कि यह ‘नीली अर्थव्यवस्था’ को सुदृढ़ करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाएगा। इस पहल का लक्ष्य भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और उच्च सागरों में मत्स्य संसाधनों के सतत और जिम्मेदार दोहन को प्रोत्साहित करना है।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तथा सहकारिता मंत्रालय के संयुक्त कार्य समूह ने सहकारी नेतृत्व वाले गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए एक समन्वित रणनीति तैयार की है।
अब तक भारत का समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र मुख्यतः पारंपरिक तरीकों पर निर्भर था, जिसमें मछुआरे समुद्र तट से केवल 40-60 समुद्री मील की दूरी तक ही जाते थे। नई पहल के माध्यम से वे लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार जैसे क्षेत्रों में भी गहरे समुद्र में मत्स्य संसाधनों का दोहन कर सकेंगे, जिससे टूना जैसी उच्च मूल्य वाली मछलियों के निर्यात में वृद्धि होगी और तटीय समुदायों की आजीविका को सशक्त किया जाएगा।
मझगांव डॉक पर लॉन्च किए जा रहे ये नए जहाज अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त हैं, जिनमें डिजिटल नेविगेशन सिस्टम, ट्रैकिंग सुविधाएं और सुरक्षा तंत्र शामिल हैं।
इन तकनीकों से संचालन की दक्षता में वृद्धि होगी और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। इससे भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप टिकाऊ और जिम्मेदार मत्स्य पालन की दिशा में अग्रसर होगा।
यह आयोजन प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी योजनाओं के समन्वय को भी दर्शाता है, जिनका उद्देश्य मत्स्य उत्पादों की शीत शृंखला और मान शृंखला अवसंरचना को मजबूती प्रदान करना है।
इस पहल से न केवल मत्स्य पालन सहकारी समितियों और एफएफपीओ को मजबूती मिलेगी, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले सहकारी उद्यमों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे तटीय समुदायों में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन और समावेशी विकास को बल मिलेगा।
इस परियोजना से भारत की समुद्री मत्स्य अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी, निर्यात में वृद्धि होगी और तटीय राज्यों में हजारों नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की यह पहल देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ करने के साथ ही भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में एक मजबूत स्थिति दिलाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगी।