क्या अमित शाह गुरुवार को नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025’ का अनावरण करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- नई सहकारिता नीति 2025-45 तक सहकारी आंदोलन के लिए एक मील का पत्थर है।
- अमित शाह का अनावरण कार्यक्रम अटल अक्षय ऊर्जा भवन में होगा।
- सहकारी संस्थाओं के लिए समावेशी और पेशेवर प्रबंधन का लक्ष्य है।
- 648 सुझावों के आधार पर नई नीति तैयार की गई है।
- ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर सृजित करने पर जोर दिया गया है।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025’ का अनावरण करने जा रहे हैं। नई सहकारिता नीति 2025-45 तक अगले दो दशकों के लिए भारत के सहकारी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
अमित शाह गुरुवार को अटल अक्षय ऊर्जा भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इस नीति का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर, राष्ट्रीय सहकारिता नीति के प्रारूप को तैयार करने वाली समिति के सदस्य, सभी राष्ट्रीय सहकारी संघों के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
नई सहकारिता नीति 2025-45 के तहत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और अमित शाह के मार्गदर्शन में, सहकारिता क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और आधुनिक बनाने का लक्ष्य है, जिससे जमीनी स्तर पर सहकार से समृद्धि का एक रोडमैप तैयार किया जा सके।
पहली राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2002 में जारी की गई थी, जो सहकारी संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक आधारभूत रूपरेखा प्रस्तुत करती थी। पिछले 20 वर्षों में वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण समाज एवं देश में कई बड़े बदलाव आए हैं। इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए नई नीति का निर्माण आवश्यक हो गया है, ताकि सहकारी संस्थाएं वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय और उपयोगी बन सकें और 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
इस नीति का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को समावेशी बनाना, उनका पेशेवर प्रबंधन करना, उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में रोजगार और आजीविका के अवसरों का सृजन करना है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में 48 सदस्यीय राष्ट्रीय स्तर की समिति ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति की रूपरेखा तैयार की है। इस समिति में राष्ट्रीय/राज्य सहकारी संघों, विभिन्न स्तरों और क्षेत्रों की सहकारी समितियों के सदस्य, संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालय/विभाग के प्रतिनिधि और शिक्षाविद शामिल हैं। एक सहभागी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए, समिति ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना में 17 बैठकें और 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं, जिनमें हितधारकों से प्राप्त 648 सुझावों का मूल्यांकन कर उन्हें नीति में शामिल किया गया है।