क्या अमित शाह का पत्र गोवा के लिए गर्व की बात है?

सारांश
Key Takeaways
- कोंकणी में केंद्र का पत्र एक ऐतिहासिक पल है।
- प्रमोद सावंत ने इसे गोवा के लिए गर्व का अवसर बताया।
- केंद्र सरकार ने कोंकणी को मान्यता दी है।
- भाषा का संरक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है।
- प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पणजी, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कोंकणी भाषा में भेजे गए पत्र पर प्रतिक्रिया दी। सीएम सावंत ने कहा कि यह गौरव की बात है कि पिछले 60 वर्षों में पहली बार केंद्र सरकार का पत्र कोंकणी में आया है।
उन्होंने बताया कि गोवा पुलिस की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए पत्र गृह मंत्री के दिशा-निर्देश पर तैयार किया गया था। पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की पिछली बैठक में गोवा पुलिस की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर प्रस्तुति दी गई थी, जिसके आधार पर केंद्र को सिफारिश भेजी गई थी।
सीएम सावंत ने कहा कि गृह मंत्रालय ने उनकी सिफारिशों पर विचार करते हुए सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया है। उन्होंने खुशी जताई कि गृह मंत्रालय ने उन्हें कोंकणी में पत्र लिखा। उन्होंने कहा, "मैं अमित शाह को दिल से धन्यवाद देता हूँ। यह पहला मौका है जब पिछले 60 वर्षों में केंद्र सरकार का पत्र कोंकणी में आया है, यह गोवा के लिए गर्व की बात है।"
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने कोंकणी को आठवीं अनुसूची में शामिल करके इसे बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। हाल ही में कोंकण क्षेत्र से एक लड़की को कोंकणी अनुवादक के रूप में नियुक्त किया गया है। सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोंकणी को मान्यता देकर गोवा के लोगों को गर्व का अवसर दिया है।
सीएम सावंत ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार हमेशा क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रही है, चाहे वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 हो या अन्य योजनाएँ। गृह मंत्रालय ने कोंकणी में पत्र लिखकर एक बार फिर इस भाषा को मान्यता दी है। मैं इसके लिए गृह मंत्री का अभिनंदन करता हूँ और गोवा की जनता की ओर से उन्हें धन्यवाद देता हूँ।"
उन्होंने केंद्र सरकार से कोंकणी भाषा को निरंतर बढ़ावा देने की अपील की। जब उनसे पूछा गया कि क्या क्षेत्रीय भाषाओं के लिए अच्छे दिन आ गए हैं, तो उन्होंने उत्तर दिया, "हां, बिल्कुल। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए निश्चित रूप से अच्छे दिन हैं।"