क्या लोकसभा में अमित शाह के भाषण का राहुल-प्रियंका ने किया विरोध?
सारांश
Key Takeaways
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा।
- राहुल गांधी ने मुद्दों का उत्तर ना देने की बात की।
- प्रियंका गांधी ने अमित शाह की लंबी सफाई पर सवाल उठाए।
- अवसरवादी राजनीति और वोट चोरी के आरोप लगे।
- संसद में चर्चा ने राजनीतिक संवाद को और तेज किया।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जवाब प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर सीधा निशाना साधा। वहीं, कांग्रेस के नेताओं ने अमित शाह के जवाब पर असंतोष व्यक्त किया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "जो हमने बिंदु प्रस्तुत किए हैं, उन्होंने उनका जवाब नहीं दिया। एक उदाहरण लेकर बोल रहे हैं, तो आपने उनका चेहरा देखा होगा। मैंने उनसे कहा था कि पारदर्शी मतदाता सूची सभी को उपलब्ध कराइए, उन्होंने उस पर एक शब्द नहीं कहा। मैंने कहा था कि भाजपा के नेता हरियाणा और बिहार में वोट डाल रहे हैं, तो उन्होंने उस पर कुछ नहीं कहा।"
कांग्रेस सांसद ने कहा कि मैंने जो बिंदु रखे हैं, अमित शाह ने उनका उत्तर नहीं दिया। वे अपने बचाव में थे। आपने उनका चेहरा देखा होगा। मैंने कहा था कि हमें पारदर्शी मतदाता सूची दीजिए, हमें ईवीएम का आर्किटेक्चर दीजिए, भाजपा के नेता हरियाणा-बिहार में वोट डाल रहे हैं, मेरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में 'वोट चोरी' के ठोस सबूत हैं, और चुनाव आयुक्त को पूर्ण इम्यूनिटी दी जा रही है, लेकिन अमित शाह ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा।
संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "1 घंटे तक उन्होंने सिर्फ यह सफाई दी है कि उन्होंने वोट चोरी नहीं की है। अगर कोई बेगुनाह है तो क्या वे इतनी लंबी सफाई देंगे?"
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "2 दिनों से लोकसभा में एक महत्वपूर्ण चर्चा हो रही थी, जहां विपक्ष ने अपनी बात रखी थी। आपने (भाजपा) हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार में वोट चोरी की है। क्या वे यह कहना चाहते थे कि घुसपैठियों के आधार पर ही उनकी (भाजपा) सरकार सत्ता में है?"
बता दें कि लोकसभा में चुनाव सुधारों पर बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "आजादी के बाद देश का प्रधानमंत्री चुना जाना था। सरदार पटेल को 28 वोट मिले और जवाहरलाल नेहरू को 2 वोट मिले, लेकिन जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने।"