क्या आनंद विहार नमो भारत स्टेशन किताब प्रेमियों का नया केंद्र बन गया है?
सारांश
Key Takeaways
- बुक फेयर 21 दिसंबर तक चलेगा।
- पाठक बॉक्स-आधारित खरीदारी कर सकते हैं।
- युवा पाठकों के लिए विशेष सेक्शन है।
- कई लेखक उपस्थित होंगे।
- यह स्टेशन एक कम्युनिटी हब के रूप में विकसित होगा।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अब दिल्ली-एनसीआर के यात्रियों के लिए यात्रा केवल गंतव्य तक पहुंचने का साधन नहीं रह गई है, यह ज्ञान और मनोरंजन से जुड़ने का एक अनूठा अवसर बन चुका है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने बुकटेल्स के सहयोग से आनंद विहार नमो भारत स्टेशन पर एक विशेष बुक फेयर का आयोजन किया है।
‘स्टोरीबॉक्स’ नाम से आयोजित यह बुक फेयर यात्रियों और पुस्तक प्रेमियों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गया है। यह बुक फेयर 21 दिसंबर तक प्रतिदिन सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक आगंतुकों के लिए खुला रहेगा। स्टेशन परिसर में इस मेले का उद्देश्य यात्रियों को उनकी रोजमर्रा की यात्रा के दौरान किताबों और कहानियों से जोड़ना है, ताकि सफर केवल समय बिताने का नहीं, बल्कि कुछ नया सीखने और पढ़ने का भी माध्यम बने। इस बुक फेयर की सबसे बड़ी विशेषता इसका बॉक्स-आधारित खरीदारी मॉडल है।
यहां पाठक एक निश्चित कीमत पर पूरा बॉक्स भरकर किताबें खरीद सकते हैं, जिससे उन्हें विभिन्न विधाओं की किताबें एक साथ चुनने का अवसर मिलता है। बुक फेयर में किताबों का संग्रह बहुत विविध है। यहां फिक्शन, नॉन-फिक्शन, बच्चों की किताबें, युवाओं के लिए विशेष साहित्य और नए व उभरते लेखकों की रचनाएं उपलब्ध हैं।
युवा पाठकों के लिए एक अलग सेक्शन भी तैयार किया गया है, जिससे वे अपनी रुचि के अनुसार किताबें आसानी से चुन सकें। इसके साथ ही, कई लेखक इस बुक फेयर में मीट एंड ग्रीट सत्रों के लिए भी उपस्थित रहेंगे। आनंद विहार नमो भारत स्टेशन दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े ट्रांजिट हब में से एक है, जहां मेट्रो, बस, रेलवे और अन्य परिवहन साधनों की बेहतरीन कनेक्टिविटी है। इस प्रकार, स्टेशन परिसर में बुक फेयर का आयोजन यात्रियों के लिए बेहद सुविधाजनक सिद्ध हो रहा है।
एनसीआरटीसी का मानना है कि इस प्रकार की पहलों से पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और नमो भारत स्टेशन केवल एक ट्रांजिट पॉइंट न रहकर एक जीवंत सोशल और कम्युनिटी हब के रूप में विकसित होगा। यह प्रयास स्टेशनों को कम्यूटर-फ्रेंडली स्पेस बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां यात्रा के साथ-साथ कला, संस्कृति, शिक्षा और मनोरंजन का अनुभव भी मिल सके।