खुशी और पैसों में से क्या चुनेंगी? अनुपम खेर की मां का यह जवाब क्या है?

सारांश
Key Takeaways
- खुशी और पैसे का महत्व
- परिवार के साथ समय बिताना
- मां-बेटे का रिश्ता
- हास्य का जीवन में स्थान
- संस्कृति और मूल्यों का महत्व
नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर अपनी मां दुलारी के साथ अक्सर वीडियो साझा करते हैं, जो उनके प्रशंसकों को बेहद पसंद आते हैं। हाल ही में, उन्होंने एक मजेदार वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि उनकी मां कैसे नाराज हो जाती हैं और अनुपम उन्हें किस तरह मनाते हैं, जिससे उनके प्रशंसक काफी प्रभावित हुए हैं।
इस वीडियो में, अनुपम खेर अपनी मां और भाई राजू खेर के साथ नजर आ रहे हैं। इस दौरान ऊन से स्वेटर बनाने की चर्चा होती है, और दुलारी कहती हैं कि यहां अच्छी ऊन नहीं मिलती। अनुपम का कहना है, "शिमला में अच्छी ऊन मिलती है।"
तभी अनुपम जानबूझकर अपनी मां से पूछते हैं कि टीवी पर जो डायलॉग चल रहा है, क्या वह सुनाई दे रहा है? दुलारी कहती हैं, "हां," तब अनुपम कहते हैं, "टीवी तो म्यूट है…फिर सुनाई कैसे दे रहा है?"
इस पर उनकी मां नाराज हो जाती हैं, लेकिन अनुपम को उन्हें मनाने का तरीका पता है। वह उनके सूट की तारीफ करना शुरू कर देते हैं।
वीडियो के कैप्शन में अनुपम ने लिखा, "मैंने मां से पूछा कि वे खुशी और पैसे में से क्या चुनेंगी! इस वीडियो में उनका जवाब है! इसके अलावा और भी बहुत कुछ है। छोटे भाई राजू की काफी पोल खुली है दुलारी ने!! तो दोस्तों, पेश है मां की जुबानी- घर घर कहानी! यह लगभग 9 मिनट का वीडियो है, लेकिन मजेदार है। देखिए और आनंद लीजिए!"
वीडियो में, अनुपम अपनी मां से पूछते हैं कि इंसान को पैसे और सुख में से क्या चुनना चाहिए। दुलारी का कहना है, 'इंसान का सुखी होना जरूरी है, भले ही सूखी रोटी के साथ हो। लगता है कि पैसा होना चाहिए, लेकिन पैसा कुछ नहीं है…पैसा हाथ का मैल है।'
इसके अलावा, दुलारी छोटे बेटे राजू की पोल खोलते हुए कहती हैं, "ये बचपन में राशन में पैसों की गड़बड़ी करता था और स्कूल में जुआ खेलते हुए पकड़ा गया था।"
सोशल मीडिया पर यूजर्स इस मां-बेटे की बातचीत वाला वीडियो देखकर बहुत खुश हुए हैं। एक यूजर ने लिखा, "एक अद्भुत एहसास जैसे हम भी अपने परिवार के साथ बैठते हैं, आप सभी लोग बहुत प्यारे हैं।"
दूसरे यूजर ने कहा, "दुलारी जी के चेहरे और बातों में एक मासूमियत है जो इतनी शुद्ध है, बस ऐसे लगता है सुनते ही रहो।"