क्या अनुराग ठाकुर बिना किसी आधार के बयानबाजी करते हैं? : तारिक अनवर
सारांश
Key Takeaways
- अनुराग ठाकुर के आरोपों पर विपक्ष की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है।
- तारिक अनवर ने भाजपा नेताओं की आदत को बिना आधार की बयानबाजी बताया।
- ‘वंदे मातरम’ पर इतिहास को लेकर भाजपा का बयान विवादित है।
- बिहार कांग्रेस में नेतृत्व चुनने का मामला अभी भी अनसुलझा है।
- अवैध अप्रवासी पर सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राजनीति का माहौल गरमा गया है। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने टीएमसी सांसदों पर संसद परिसर में ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया, जिसके बाद विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि टीएमसी सांसद पहले ही इसका खंडन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर और भाजपा नेताओं की आदत है कि वे बिना किसी आधार के बयानबाजी करते रहते हैं।
तारिक अनवर ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान पर भी पलटवार किया, जिसमें नड्डा ने कहा था कि कांग्रेस ने कभी ‘वंदे मातरम’ का सम्मान नहीं किया। अनवर ने इसे मजाकिया और इतिहासहीन टिप्पणी करार देते हुए कहा कि जब पहली बार 'वंदे मातरम' का नारा बुलंद हुआ था, तब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य कहीं नहीं थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई थी। आज अचानक ये लोग खुद को बड़े देशभक्त बताने लगते हैं। यह कांग्रेस ही थी, जिसने ‘वंदे मातरम’ को अपनाया और आजादी की लड़ाई में इसे एक प्रेरक नारे की तरह इस्तेमाल किया।
बिहार कांग्रेस में नेतृत्व चुनने को लेकर जारी असमंजस पर भी तारिक अनवर ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमने सुझाव दिया है कि वरिष्ठ विधायक को ही नेता बनाया जाए। मेरा मानना है कि हमारे पदाधिकारी इस पर गंभीरता से विचार करेंगे।”
इसी बीच, गृह मंत्री अमित शाह के घुसपैठिए पर दिए गए हालिया बयान को लेकर कांग्रेस सांसद प्रभा मल्लिकार्जुन ने भी प्रतिक्रिया दी। शाह ने ‘अवैध अप्रवासी’ के मुद्दे पर सरकार की स्थिति स्पष्ट की थी। इस पर प्रभा मल्लिकार्जुन ने कहा, “हम भी इसी बात को उठा रहे हैं। अवैध अप्रवासी से उनका क्या अभिप्राय है? इतने सारे वास्तविक भारतीय वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। हम तो उन भारतीय नागरिकों की बात कर रहे हैं जिन्हें वोट देने का संवैधानिक अधिकार है। कोई नहीं चाहता कि गैर-भारतीय वोट दें, लेकिन असली नागरिकों को ही सूची से बाहर कर दिया गया है।”