क्या प्रोफेसर अमून कुमार मिश्रा ने बताया कि सरकार ने जीएसटी स्लैब में कटौती करके एक तीर से दो निशाने साधा?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी स्लैब में कटौती से आम जनता को राहत मिलेगी।
- इलेक्ट्रॉनिक सामानों की मांग में तेजी आएगी।
- सरकार ने वोकल फॉर लोकल की अवधारणा को बढ़ावा दिया है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि होगी।
वाराणसी, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित डीएवी कॉलेज के प्रोफेसर अमून कुमार मिश्रा ने केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी स्लैब में की गई कटौती के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि इससे निश्चित रूप से आम जनता को आर्थिक मोर्चे पर लाभ होगा। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध का सामना करने में मददगार साबित होगा, और आम जनता को भी आर्थिक राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई स्लैब को मिलाकर दो स्लैब में तब्दील किया गया है, जिसका स्वागत होना चाहिए। अब केवल पांच और 18 प्रतिशत वाला स्लैब रह जाएगा। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए 33 जीवन रक्षक दवाओं को जीएसटी स्लैब से बाहर कर दिया गया है, जिससे आम जनता को लाभ होगा। आने वाले दिनों में फेस्टिव सीजन के चलते इलेक्ट्रॉनिक सामानों सहित अन्य उत्पादों की मांग में तेजी आने की संभावना है, क्योंकि पहले इन पर 18 प्रतिशत टैक्स लगता था, जो अब 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इससे मैन्युफैक्चरिंग में भी तेजी देखने को मिलेगी। पहले जिन वस्तुओं की मांग नहीं थी, अब उनकी मांग में बढ़ोतरी होगी। सरकार ने इस निर्णय से एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक ओर जहां आम जनता को आर्थिक राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर ट्रंप के टैरिफ युद्ध से भी निपटने में सहायता मिलेगी। पहले सभी व्यक्तियों को इंश्योरेंस पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता था, लेकिन अब यह मुक्त होगा, जो आम जनता के लिए एक बड़ी राहत है।
अर्थशास्त्री अमून कुमार मिश्रा ने कहा कि सरकार ने कुछ वस्तुओं को 40 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में रखा है, जिसे सिन गुड्स कहा जाता है। इसमें मुख्यतः नशे से संबंधित और विलासितापूर्ण वस्तुएं शामिल हैं। सरकार ने इन वस्तुओं को 40 प्रतिशत के टैक्स में रखा है क्योंकि इनका उपयोग करने वाले व्यक्तियों में इतना टैक्स देने की क्षमता है। सरकार के इस निर्णय से सभी वर्गों को लाभ होगा।
अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार द्वारा टैक्स स्लैब में कटौती के बाद वोकल फॉर लोकल की अवधारणा को नई गति मिलेगी। स्थानीय स्तर पर उत्पादों की मांग बढ़ेगी और लोगों की निर्यात पर निर्भरता कम होगी। इससे कुटीर उद्योग में भी तेजी आएगी। पहले त्योहारी सीजन में चीनी उत्पादों की मांग में वृद्धि होती थी, लेकिन अब स्थानीय उत्पादों की भी मांग में बढ़ोतरी होगी। आने वाले दिनों में भारत की जीडीपी में वृद्धि होगी, जिससे हमारी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।